बकाया वेतन पर कोर्ट ने केंद्र-दिल्ली सरकार से कहा- हमें विस्तृत रिपोर्ट दीजिए!


याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसके बच्चे को 2014 में बाल श्रम से बचाए जाने के सात दिन के भीतर बकाया वेतन का भुगतान किया जाना था, लेकिन छह साल में भी कुछ नहीं हुआ और बाल एवं बंधुआ मजदूरी के अन्य पीड़ितों की भी यही स्थिति है।


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दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बाल एवं बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को बकाया वेतन के भुगतान संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र और ‘आप’ सरकार से बुधवार को जवाब मांगा। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने बाल श्रम से बचाए गए एक बच्चे के पिता की याचिका पर श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किए।

पीठ ने कहा, हमें विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दीजिए। याचिकाकर्ता ने वकीलों कृति अवस्थी और निमिषा मेनन के जरिए दायर याचिका में अपने बच्चे और बाल श्रम के अन्य 115 पीड़ितों के बकाया वेतन के शीघ्र भुगतान का अनुरोध किया है।

याचिका में प्राधिकारियों को निर्देश देने को कहा गया है कि वे उन 77 मामलों में बकाया देने की कार्रवाई शुरू करें, जिनकी बकाए को देने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं की गई है।

याचिका में दावा किया गया है कि प्राधिकारी उसके बच्चे और बंधुआ मजदूरी के अन्य इसी प्रकार के पीड़ितों का बकाया वेतन मुहैया कराने में कथित रूप से नाकाम रहे हैं, जो उच्च न्यायालय के विभिन्न फैसलों के अनुसार इस प्रकार की राहत के हकदार हैं।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसके बच्चे को 2014 में बाल श्रम से बचाए जाने के सात दिन के भीतर बकाया वेतन का भुगतान किया जाना था, लेकिन छह साल में भी कुछ नहीं हुआ और बाल एवं बंधुआ मजदूरी के अन्य पीड़ितों की भी यही स्थिति है।