डूटा का दिल्ली विधानसभा पर प्रदर्शन, उच्च शिक्षा मॉडल का विरोध  


डूटा सचिव डॉ अनिल कुमार ने कहा कि इन कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। दिल्ली सरकार ने फंड में कटौती की है और वह चाहती है कि वेतन का भुगतान छात्रों की फीस के माध्यम से किया जाए ऐसा डूटा कभी नहीं होने देगी। 


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दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के हजारों शिक्षकों ने दिल्ली विधानसभा पर विशाल धरना प्रदर्शन किया और  शुक्रवार को डीयू के सभी कॉलेजों में पूर्ण हड़ताल रही , शिक्षकों ने आज कॉलेज नहीं गए , कक्षाएं नहीं हुई। डूटा और विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने आतिशी, शिक्षा मंत्री , दिल्ली सरकार के दिनांक 01.12.2023 और 19.01.2024 के पत्रों की निंदा की और उन्हें खारिज कर दिया और उन्होंने कहा है कि बिना किसी देरी के वापस लेने और पूर्ण धनराशि जारी की जाए।

बता दे कि पिछले कई महीनों से इन कॉलेजों के शिक्षकों को सैलरी नहीं मिल रही है। डूटा ने अपने आंदोलन को तेज करने और दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विरोधी मॉडल को जनता के सामने उजागर करने का संकल्प लिया। मांगें पूरी न होने पर अगले सप्ताह से दिल्ली के अलग-अलग कोनों में विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू करेगा।

डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने धरने में आए शिक्षकों को  संबोधित करते हुए कहा कि  सुश्री आतिशी द्वारा दो पत्र लिखे गए थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में अवैध रूप से 939 शिक्षण पद सृजित किए गए हैं और इन 12 कॉलेजों में काम करने वाले शिक्षकों के वेतन पर करोड़ों सरकारी धन खर्च किए गए हैं। दशकों से  स्थायी/तदर्थ आधार पर ये शिक्षक कार्य कर रहे हैं।

डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर भागी ने कहा ”फंड में कटौती और इन कॉलेजों को आर्थिक रूप से बीमार घोषित करने वाले ये पत्र दिल्ली सरकार की अपने उच्च शिक्षा विरोधी रुख के लिए बांह मरोड़ने की रणनीति के अलावा और कुछ नहीं हैं।  इसका उद्देश्य इन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय की तरह इन कॉलेजों को राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के उनके प्रस्ताव पर सहमत करना है। सरकार इन कॉलेजों को डिग्री देने वाले स्वायत्त कॉलेज के रूप में चाहती है।  इसका  सीधा मतलब है कि इन सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों को स्व-वित्तपोषित संस्थानों में परिवर्तित करना।

डूटा सचिव डॉ अनिल कुमार ने कहा कि इन कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। दिल्ली सरकार ने फंड में कटौती की है और वह चाहती है कि वेतन का भुगतान छात्रों की फीस के माध्यम से किया जाए ऐसा डूटा कभी नहीं होने देगी।

डूटा अध्यक्ष ने शिक्षकों की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 12 कॉलेजों के एडहॉक शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कई वर्षों तक इन कॉलेजों में पढ़ाया है और अब सुश्री आतिशी द्वारा इन नियुक्तियों और पदों को अवैध घोषित करना हमें  अस्वीकार्य है। जबकि यूजीसी से वित्त पोषित अधिकांश कॉलेजों में  स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है जबकि इन 12 कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की है ।  दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।  उन्होंने सवाल किया कि दिल्ली सरकार शिक्षकों और शिक्षण स्थिति की अनुपस्थिति में इन कॉलेजों में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की कल्पना कैसे करती है ?

डूटा के आह्वान पर दिल्ली विधानसभा के समक्ष हजारों शिक्षकों ने शुक्रवार को  दिल्ली सरकार विरोधी नारे लगाए। डीयू के शिक्षकों ने केजरीवाल से मांग की कि दिल्ली सरकार तत्काल पूर्ण अनुदान, स्वीकृत शिक्षण पद जारी करे और स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करे। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो पूरी दिल्ली में व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा ।