बादली की सराय में ऐतिहासिक स्मारक पर अतिक्रमण


दिल्ली के आजादपुर मंडी में स्थित बादली की सराय में ऐसा ही एक स्मारक है जो स्थानीय निवासियों द्वारा अतिक्रमण का शिकार है। यह बात सही है कि यहां पर 1857 के जंग में मारे गए अंग्रेज अधिकारी का समाधि है।


प्रदीप सिंह प्रदीप सिंह
दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। भारत में मंदिरों, किलों और महलों का देश है। देश के किसी भी भाग में हजारों साल पुराने  किले और महल देखने को मिलते हैं। राजधानी दिल्ली कई राजवंशों की राजधानी रही है। यहां पर किले, महल और स्मारकों की भरमार है। पुराने महल, किले और स्मारक हमें इतिहास के रूबरू कराते हैं। भारत में राजपूत, मुगल और अंग्रेजों का शासन रहा। इस कारण हर शासकों में महल और स्मारक बनवाएं। लेकिन जनता के एक बड़े वर्ग में ऐतिहासिक इमारतों के साथ शत्रुता वाला रूख है। जबकि सच्चाई यह है कि विदेशी या आक्रांताओं द्वारा बनवाए गए इमारत औऱ स्मारक हमें अपने अतीत की गलतियों को बताने का सबसे सशक्त माध्यम है।

दिल्ली के आजादपुर मंडी में स्थित बादली की सराय में ऐसा ही एक स्मारक है जो स्थानीय निवासियों द्वारा अतिक्रमण का शिकार है। यह बात सही है कि यहां पर 1857 के जंग में मारे गए अंग्रेज अधिकारी का समाधि है। 1857 में यहां 19 ब्रिटिश सैनिकों की समाधि बनाई गई थी, जिसको अनदेखा कर 2015 में बुलडोजर चलाकर इन समाधियों को नष्ट कर कब्जा करने की कोशिश की गई।

ब्रिटिश हाई कमीशन ने इस घटना की निंदा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र) लिखा, जिसके जवाब में मुख्यमंत्री जी ने ब्रिटिश हाई कमीशन को इस जगह को संरक्षण में लेकर, यहां एक गार्ड की तैनाती की बात कही। परंतु, ऐसा कुछ भी नही हुआ, बल्कि यहां के स्थानीय लोग, यहां कब्जा कर अवैध अतिक्रमण और पशुपालन जैसी क्रियाएं कर रहे है।