अहिंसा के जरिए नागरिक अधिकारों का संघर्ष कर गांधी ने एक मौलिक मार्ग पेश किया- राजीव रंजन


देश के नागरिकों को महात्मा की हत्या करने वाले समूह के प्रति सचेत रहना होगा वरना ये लोग देश को नफरत और हिंसा की आग में झोंककर अपनी रोटियाँ सेंकते रहेंगे।


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दिल्ली Updated On :

दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा के जरिए रंग- भेद के विरुद्ध और नागरिक अधिकारों का संघर्ष कर विश्व में पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी ने दुनिया के समक्ष एक मौलिक मार्ग पेश किया। इनसे पूर्व अहिंसा आध्यात्मिक क्षेत्र के लिए उपयोगी मानी जाती थी। गांधी मानव इतिहास के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा की ताकत की शिनाख्त की और शक्ति के पर्याय के तौर पर इसको स्थापित किया। शक्ति की इस कल्पना को व्यावहारिक धरातल पर लागू कर इन्होंने संघर्ष की एक नई संस्कृति विकसित की।

उक्त बातें डॉ. राजीव रंजन गिरि ने इंदिरा गांधी दिल्ली प्रौद्योगिकी महिला विश्वविद्यालय में शहीद दिवस के अवसर पर ” महात्मा – स्मरण ” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि इतिहास के उस दौर में लोगों को अहिंसा की ताकत से क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकता है, इसकी उम्मीद नहीं थी। सत्य और अहिंसा के जरिए गांधी ने औपनिवेशिक सत्ता की संरचना को न सिर्फ प्रश्नांकित किया अपितु औद्योगिक सभ्यता की कड़ी और विचारोतेजक समीक्षा भी की।

डॉ. गिरि ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर गांधी जी के भाषण को उनके व्यक्तित्व को समझने के लिहाज से महत्वपूर्ण बताते हुए, उस भाषण की खास बातों की व्याख्या की और कहा कि जब गांधी जी ने अंग्रेजी सभ्यता को शैतानी करार दिया तो यह आवाज इतनी नैतिक और मजबूत थी कि मानो भारतीय जन गण मन में बस गयी। यह महात्मा का ही हुनर था जिसने आम भारतवासी को निर्भयता का मंत्र दिया और असंख्य लोग सड़कों पर विरोध के लिए आ गए।

राजीव रंजन गिरि ने गांधी जी को हर तरह की नफरतों के खिलाफ इंसानियत की आवाज बताते हुए कहा कि हत्यारी विचारधाराओं को यह स्वीकार्य नहीं था इसलिए उसके एक आतंकी ने सुनियोजित षड्यंत्र कर उन्हें गोली मार दी। देश की आज़ादी के साथ बंटवारे की त्रासदी के दौरान नफरत तथा हिंसा की लपटें महात्मा के बलिदान से तत्कालिक तौर पर बुझ गयी।

डॉ.गिरि ने इसरार किया कि देश के नागरिकों को महात्मा की हत्या करने वाले समूह के प्रति सचेत रहना होगा वरना ये लोग देश को नफरत और हिंसा की आग में झोंककर अपनी रोटियाँ सेंकते रहेंगे। धार्मिक सद्भाव के लिए प्रतिबद्धता और नफरत का मुखर विरोध ही महात्मा का सही मायने में स्मरण है।

इंदिरा गांधी दिल्ली प्रौद्योगिकी महिला विश्वविद्यालय के डॉ. विशाल राय ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर डॉ. भव्या, डॉ. कादयान और विभिन्न विभागों की छात्राएं मौजूद थीं।