HC ने आयकर विभाग के नोटिस का जवाब देने के लिए रॉबर्ट वाद्रा को और समय दिया


दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग द्वारा जारी नोटिस का जवाब देने के लिए कारोबारी रॉबर्ट वाद्रा को शुक्रवार को तीन सप्ताह का समय और दे दिया।


बबली कुमारी बबली कुमारी
दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग द्वारा जारी नोटिस का जवाब देने के लिए कारोबारी रॉबर्ट वाद्रा को शुक्रवार को तीन सप्ताह का समय और दे दिया।

अदालत ने कहा कि आयकर विभाग आकलन कार्यवाही जारी रख सकता है, लेकिन उसके द्वारा कोई अंतिम आदेश जारी नहीं किया जाएगा।

आयकर विभाग ने वाद्रा को काला धन कानून के तहत नोटिस जारी किए हैं।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने आयकर विभाग को नोटिस जारी कर वाद्रा की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।

वाद्रा ने आयकर विभाग द्वारा काला धन कानून, 2015 की धारा 10 (1) के तहत चार दिसंबर 2018 और 18 दिसंबर 2019 को जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी है।

अदालत मामले में अगली सुनवाई अब 10 अगस्त को करेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाद्रा ने 2018 और 2019 में खुद को जारी किए गए नोटिस और इस साल सात मई को जारी किए गए ‘कारण बताओ नोटिस’ तथा 17 और 22 मई को जारी किए गए पत्रों को अवैध एवं असंवैधानिक घोषित किए जाने का आग्रह किया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है।

काला धन (अज्ञात विदेशी आय तथा परिसंपत्ति) अधिनियम, 2015 की धारा 10 (1) में प्रावधान है कि आयकर अधिकारी या किसी अन्य अधिकारी से सूचना मिलने पर आकलन अधिकारी किसी व्यक्ति को नोटिस जारी कर उससे किसी खास तारीख को कानून के उद्देश्यों के संबंध में खाते की जानकारी देने या दस्तावेज जमा करने को कह सकता है।

यह प्रावधान संबंधित अधिकारी को यह शक्ति भी देता है कि अगर ऐसा व्यक्ति नोटिस का अनुपालन करने में विफल रहे तो मामले में एकतरफा आकलन किया जा सकता है।

कानून की धारा 11 उस वित्त वर्ष के अंत से जिसमें धारा 10 (1) के तहत नोटिस जारी किया गया, आकलन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दो साल की समयसीमा उपलब्ध कराती है।

वाद्रा ने याचिका में आरोप लगाया है कि अधिकारियों द्वारा उन्हें पांच नोटिस/पत्र जारी किए जाने से पता चलता है कि उनकी पत्नी एवं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और उनकी ससुराल के लोगों के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से काम किया जा रहा है।

आयकर विभाग ने आठ दिसंबर 2018 को वाद्रा को नोटिस जारी कर कहा था कि उन्होंने लंदन में 12 एलर्टन हाउस, ब्रियांस्टन स्क्वायर स्थित संपत्ति में 2010 में लाभ या स्वामित्व प्राप्त किया, जबकि इसका कानूनी स्वामित्व संयुक्त अरब अमीरात में निगमित कंपनी स्काईलाइट इन्वेस्टमेंट एफजैडई के नाम स्थानांतरित कर दिया गया।

वाद्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नोटिस का आधार भंडारी के दस्तावेज, मनोज अरोड़ा का बयान, जो वाद्रा के करीबी सहयोगी बताए जाते हैं और 18 ई-मेल हैं।

उन्होंने दावा किया कि विभाग ने यहां तक कि उन्हें सभी दस्तावेज तक उपलब्ध नहीं कराए हैं और नोटिस का जवाब देने के लिए वाद्रा को पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है।

आयकर विभाग की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कोई ऐसा मामला नहीं है जो अचानक हुआ हो और वाद्रा को पहला नोटिस तीन साल पहले जारी किया गया था तथा इसका जवाब देने की समयसीमा 31 मई है।

उन्होंने कहा कि यह कहकर कि जवाब देने के लिए दो या तीन दिन का समय दिया जा रहा है, वाद्रा ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सरकार दुर्भावना से काम कर रही है, जो सही नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता अब तक 15 स्थगन मांग चुका है।

मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि यदि अदालत वाद्रा को नोटिस का जवाब देने के लिए और समय प्रदान करती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

इस बीच, उच्च न्यायालय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा और अन्य द्वारा दायर उन याचिकाओं को तीन जून के लिए सूचीबद्ध कर दिया जिनमें उनके आयकर आकलन को इस आधार पर एक खंड से दूसरे खंड में स्थानांतरित करने के राजस्व विभाग के निर्णय को चुनौती दी गई है कि उनके मामले को संजय भंडारी समूह के मामले के साथ देखा जाएगा।

गांधी परिवार ने अपने मामलों को सेंट्रल सर्किल से स्थानांतरित किए जाने का इस आधार पर विरोध किया था कि भंडारी समूह के मामलों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।



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