
सेंटर फॉर सिविलाइजेशनल स्टडीज यानी सभ्यता अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार की पुस्तक “ईसावाद और औपनिवेशिक कानूनों के चक्रव्यूह में झारखंड” का लोकार्पण मालवीय स्मृति भवन, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जन मुंडा, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. अशोक वार्ष्णेय तथा वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने पुस्तक का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सभ्यता अध्ययन केंद्र के निदेशक रवि शंकर ने केंद्र के उद्देश्य तथा कार्यों का संक्षिप्त परिचय दिया। तत्पश्चात् पुस्तक के लेखक डॉ. शैलेंद्र कुमार ने पुस्तक की भूमिका, लेखन का हेतु तथा झारखंड में कार्य करने के दौरान मिली प्रेरणा का वर्णन किया। यह पुस्तक मुख्य रूप से झारखंड में अंग्रेजों द्वारा बनाए तथा लागू किए गए कानून एवं ईसाई तंत्र द्वारा हो रहे मतांतरण के विषय पर लिखी गई है।
जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह पुस्तक झारखंड के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं देती है। उन्होंने कहा कि सभ्यताओं का अध्ययन करते हुए हमें इस शोध कार्य को आर्यावर्त एवं जम्बूदीप तक की भौगोलिक विशालता तक ले जाना चाहिए, तभी हमारे राजनीतिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक प्रभावों का पता चलेगा। उन्होंने अंग्रेजी काल का वर्णन करते हुए फौजदारी कानून का भी उल्लेख किया और कहा कि उन्हें बदले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान काल भारत का अमृतकाल है जोकि अब वैश्विक परिदृष्य में स्पष्ट भी होने लगा है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि तथा आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि झारखंड किसी भी समस्या को समझने एवं समझकर प्रयोग करने का सबसे उपयुक्त स्थान है। उल्लेखनीय है कि डॉ. अशोक झारखंड में दस वर्षों तक संघ के प्रांत प्रचारक रहे हैं। उन्होंने कोयलकारो परियोजना का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार ईसाई तंत्र ने मतांतरण को जारी रखने के लिए विकासकार्यों को षड्यंत्रपूर्वक क्रियान्वित नही होने दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में ईसाई नक्सली गठजोड़ को भी बड़ी सूक्ष्मता से समझाया।
उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का समाधान केवल सरकारी प्रयासों तथा नीतियों से नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए समाज को भी प्रयास करने होंगे। उन्होंने बताया कि ऐसे कई प्रयास संघ के सहयोग से कल्याण आश्रम, विद्या भारती आदि संगठनों ने किए, जिसके परिणामस्वरूप झारखंड में खुले तौर पर होने वाला मतांतरण तो बंद हुआ ही, घोषित रूप से घरवापसी के कार्यक्रम भी प्रारंभ हो गए। ऐसे ही एक प्रयास के रूप में उन्होंने विद्या भारती द्वारा प्रारंभ किए गए निजी आईटीआई संस्थाओं का उल्लेख किया तथा जनजातीय समाज की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति होडोपैथी के उत्थान का भी आग्रह किया।
अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सत्येंद्र सिंह ने यह पुस्तक झारखंड में चर्च की गतिविधियों को समझने का एक अच्छा साधन बनेगी। उन्होंने यह भी कहा की इस पुस्तक से केवल झारखंड ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारत को समझने की दृष्टि मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि सिमडेगा जैसे क्षेत्र में 52 प्रतिशत ईसाई हो चुके हैं। उन्होंने विभिन्न जनजातियों को नष्ट करने के ईसाई षड्यत्रों का भी वर्णन किया और बताया कि खड़िया तथा ओरांव जनजाति ईसाई तंत्र के षड्यंत्र के कारण आज समाप्त होने को हैं।
कार्यक्रम का संचालन केंद्र के संस्थापक सदस्य तथा भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी ऋतेश पाठक ने किया। कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग , भारत वैभव पुस्तक के लेखक डॉ. ओमप्रकाश पांडेय, सभ्यता अध्ययन केंद्र के संरक्षक तथा आईटी एवं कृषि विशेषज्ञ प्रकाश चंद्र शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पुरातत्त्वविद् डॉ. धर्मवीर शर्मा, सहित बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक तथा शोधछात्र, पत्रकार और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।