नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय (डीडीयू) ने ‘‘धन अभाव’’ के चलते अपने स्थायी शिक्षकों के जुलाई के वेतन का बस एक हिस्सा जारी किया है। इस पर महाविद्यालय के संचालन मंडल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
महाविद्यालय के नोटिस के अनुसार, सहायक प्रोफेसर के कुल वेतन से 30,000 रुपये, एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर के वेतन से 50,000-50,000 रुपये काट लिए गए हैं। डीडीयू डीयू के उन 12 महाविद्यालयों में से एक है जिनका पूरी तरह वित्त पोषण दिल्ली सरकार करती है।
कार्यवाहक प्राचार्य हेमचंद जैन के हस्ताक्षर वाले नोटिस में कहा गया है, ‘‘यह सभी स्थायी शिक्षकों के सूचनार्थ है कि धन अभाव के चलते जुलाई माह के लिए सहायक प्रोफेसर के कुल वेतन के 30,000 रुपये तथा एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर के वेतन के 50,000-50,000 रुपये रोक लिए गए हैं।’’
नोटिस में कहा गया है, ‘‘ जब कोष उपलब्ध हो जाएगा तब रोकी गई तनख्वाह जारी कर दी जाएगी।’’
मीडिया ने जब उनसे संपर्क किया तब जैन ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। डीडीयू ने कहा कि अब वह हफ्ते में पांच दिन पढ़ाएगा क्योंकि सरकार बिजली बिल का भुगतान करने के लिए पैसे जारी नहीं कर रही है।
इस बीच, संचालन मंडल के अध्यक्ष सुनील कुमार ने जैन से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने जैन को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘ जब उच्च शिक्षा विभाग द्वारा वेतन मद में जरूरी धनराशि जारी कर दी गई है, तब यह पता चला है कि एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर के वेतन में 50000 रुपये तथा सहायक प्रोफेसर के वेतन में 30,000 रुपये काटकर उन्हें जुलाई की तनख्वाह दी गई है। कृपया यह स्पष्ट करें कि किसकी अनुमति से आप यह राशि काट रहे हैं।’’
उन्होंने जैन से शिक्षकों को वेतन देने के लिए सावधि जमा के रूप में बैंक में पड़ी 25 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल करने को कहा है।