नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, शिक्षा मंत्रालय एवं हंसराज कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज शुभारंभ हुआ। ‘आजादी के 75 साल, सुशासन का स्वप्न और 2047 का भारत’ विषय पर 25-26 दिसंबर को आयोजित होने वाली उक्त संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में प्रो. रमा, डॉ. अनिर्बान गांगुली, अनंत विजय एवं प्रो. रजनी अब्बी ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में उपस्थित वक्ताओं ने दोनों भारत-रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं महान शिक्षाविद् महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी का उनकी जयंती पर स्मरण किया। इस अवसर पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध प्रतिष्ठान के मानद निदेशक एवं राष्ट्रवादी विद्वान डॉ. अनिर्बान गांगुली ने आजादी के बाद की विभिन्न सरकारों और वर्तमान नेतृत्व की सोच को सामने रखते हुए इस दौर को भारत के आत्म-गौरव, आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान के उत्कर्ष-काल के रूप में रेखांकित किया।
उपस्थित वक्ताओं का स्वागत करते हुए हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रमा ने हंसराज कॉलेज की गौरवमयी परंपरा और राष्ट्र-निर्माण में यहाँ के पूर्व विद्यार्थियों के योगदान को रेखांकित करते हुए उपस्थित विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों से देश के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करने का आह्वान किया। साथ ही, वर्तमान शासन और नेतृत्व के साहसिक, दूरदर्शी एवं परिवर्तनकारी कदमों की सराहना की।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी ने कहा कि भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां सुशासन की विशिष्ट परंपरा रही है। इन 75 वर्षों में कुछ चूक अवश्य हुई है लेकिन हमारी उपलब्धियां गर्व करने लायक हैं। दैनिक जागरण के एसोसिएट संपादक अनंत विजय ने कहा कि इस देश के इतिहास के संबंध में कई भ्रांतियां संस्थागत तरीके से पैदा की गईं और उसी का प्रचार-प्रसार किया गया।
अब आवश्यकता इस बात की है कि आज की पीढ़ी औपनिवेशिक सोच से बाहर निकले और इतिहास का तार्किक विश्लेषण करे। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. विजय कुमार मिश्र ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नृत्य गोपाल शर्मा ने किया।