सामान्य व्यक्ति से महात्मा बने थे मोहनदास गांधी


नई दिल्ली। मोहनदास करमचंद गांधी हम सबकी तरह एक सामान्य व्यक्ति थे। जीवन की परिस्थितियों में अपने लिए निर्णय और उसके प्रति दृढ़ आस्था ने उन्हें महात्मा बनाया। उक्त बातें डाॅ. रूबल शर्मा ने माता सुंदरी कॉलेज फॉर वुमेन के गांधी स्टडी सर्किल द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम में छात्राओं को गांधी का जीवन दर्शन समझाने के लिए कही।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने आध्यात्मिक माने जाने वाले सत्य और अहिंसा को सिविल राईट की प्राप्ति का हथियार बनाकर दुनिया को संघर्ष का एक नया रास्ता दिखाया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर , नेल्सन मंडेला जैसे लोगों ने उनमें अपना गुरु देखा और उनके बताए रास्ते पर चलकर अपना हक प्राप्त किया।

माता सुंदरी कॉलेज फॉर वुमेन ने अपने पांच दिवसीय कार्यक्रमों में – बापू की गाथा, टैलेंट हंट प्रतियोगिता, एक्सप्रेस ज़ोन, काव्योत्सव, विस्तार चर्चा, विषय के तहत “बापू का सफरनामा” छात्राओं के बीच बताया।

इस कार्यक्रम में सौ से अधिक प्रतिभागियों और कॉलेज के विभिन्न विभागों के कई शिक्षकों ने भाग लिया। सौम्य तरीके से कोई भी दुनिया को हिला सकता है, इसलिए माता सुंदरी कॉलेज के गांधी स्टडी सर्किल ने देश भर के छात्र छात्राओं को इन आयोजनों में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया।

माता सुंदरी कॉलेज की छात्राओं ने मोहन दास से महात्मा बनने की कहानी – “बापू की गाथा” 1869 से 1948 तक के मीठे और कड़वे प्रसंगों की विस्तृत चर्चा की। इसमें पता चला कि विदेश में पढ़ने वाले एक धनी लड़के से वह कैसे राष्ट्रपिता बने, कैसे धोती ने पैंट की कमीज, सूट और टाई की जगह ले ली, कैसे उन्होने अहिंसा परमो धर्म की श्रेष्ठता स्वीकार किया।

कॉलेज ने प्यारे बापू के बारे में देश भर के छात्रों के ज्ञान का परीक्षण करने के लिए एक प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई थी। दूसरे दौर में एक प्रतिभा खोज ( टैलेंट हंट ) आयोजित की गई। इस आयोजन ने स्टूडेंट्स में दिलचस्पी पैदा की।

आयोजनों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए, “काव्योत्सव”, कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जहाँ छात्राओं ने उन्हें शब्दों और भाषा की बाजीगरी से अपने हुनर दिखाए।कार्यक्रम की श्रृंखला का पाँचवाँ और अंतिम दिन “विस्तृत चर्चा” का दिन था जिसमें हमने अपने बापू को श्रद्धांजलि दी और इस उल्लेखनीय दिन को यादगार बनाने के लिए माता सुंदरी कॉलेज फॉर विमेन की छात्राएं भी राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय गईं।