राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में ‘पत्रकारिता की संस्कृति और सांस्कृतिक पत्रकारिता’ विषय पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कॉलेज के नवगठित सांस्कृतिक अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं एबीपी न्यूज़ नेटवर्क के प्रधान सम्पादक राजकिशोर ने कहा कि इतिहासबोध और संस्कृतिबोध का अभाव और अपनी सांस्कृतिक चेतना के प्रति हमारी उदासीनता बेहद निराशाजनक है। हमारी सांस्कृतिक धारा का प्रवाह किसी के अवरोध पैदा करने से नहीं रूक सकता है और हमारा इतिहास इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पत्रकारिता हमें भाषा, अनुशासन, मर्यादा जैसी चीजें सिखाती है और हमारी सांस्कृतिक चेतना को परिष्कृत करती है।
केंद्र की अध्यक्षा एवं हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रमा ने कहा कि पत्रकारिता का महत्वपूर्ण दायित्व सांस्कृतिक परिवेश निर्माण करना भी है। समय के साथ पत्रकारिता में भी बदलाव आया और उसी का परिणाम है कि सांस्कृतिक पत्रकारिता का परिदृश्य पहले जैसा नहीं रहा। इस परिदृश्य में बदलाव के लिए व्यापक विमर्श की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. सौरभ मालवीय ने कहा कि प्रेस दिवस के अवसर पर हमारी यही कामना है कि पत्रकारिता संवेदनशील हो, जनधर्मी हो, लोकमंगलकारी और विश्वसनीय हो तथा मानवीय बनी रहे।
प्रारंभ में कार्यक्रम के समन्वयक एवं सांस्कृतिक अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र हंसराज कॉलेज के संयोजक डॉ. विजय कुमार मिश्र ने विषय से सम्बंधित मुख्य बिन्दुओं को रखते हुए हुए कहा कि कल्चरल रिपोर्टिंग महज विधाओं की रिपोर्टिंग नहीं है बल्कि यह अपने समाज को सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन दर्शन से भी रुबरु करवाती है। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. नृत्य गोपाल ने किया।