नई दिल्ली। दिल्ली में करीब 25 प्रतिशत पानी की आपूर्ति करने वाली ब्यास हाइडल नहर को मरम्मत के लिये एक महीने तक बंद किया जा रहा है जिससे राष्ट्रीय राजधानी को अभूतपूर्व जल संकट और कानून-व्यवस्था की स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
चड्ढा ने कहा कि मरम्मत कार्य को स्थगित करने के लिये केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की एजेंसी -भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) -ब्यास हाइडल नहर को मरम्मत व रखरखाव कार्य के नाम पर 25 मार्च से 24 अप्रैल तक के लिये बंद करने जा रही है। इससे दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा, “नहर को अचानक बंद करने से ब्यास नदी से दिल्ली को प्रतिदिन होने वाली 23.2 करोड़ गैलन (एमजीडी) पानी की आपूर्ति मार्च-अप्रैल में प्रभावित होगी। यह दिल्ली में आपूर्ति होने वाले कुल पानी का 25 प्रतिशत है और इससे अभूतपूर्व जल संकट और कानून-व्यवस्था की स्थिति बन सकती है।”
चड्ढा ने कहा कि दिल्ली के लोग पानी के लिये चार स्रोतों पर निर्भर हैं। ये चार स्रोत यमुना, गंगा, रावी और ब्यास नदी तथा भूजल हैं। दिल्ली जल बोर्ड इन स्रोतों से पानी लेकर दिल्ली में आपूर्ति करता है। इन उपायों के बावजूद दिल्ली में पानी की किल्लत बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, “कानून के तहत दिल्ली को यह 232 एमजीडी पानी मिलना है। दिल्ली के लोगों को 1981 में हस्ताक्षित सहमति पत्र के मुताबिक ब्यास नदी का पानी मिलता है और उच्चतम न्यायालय का 10 मई 2020 का आदेश भी इस बारे में है।”
चड्ढा ने कहा कि इस साल 12 फरवरी को उन्हें हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का पत्र मिला था जिसमें मरम्मत कार्य के लिये नहर को बंद करने और दिल्ली को 232 एमजीडी जलापूर्ति बंद किये जाने की बात थी।
राघव चड्ढा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि दिल्ली में गर्मियों में पानी की मांग बढ़ जाती है। दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है और उम्मीद है कि यह आसन्न संकट टल जाएगा।
दिल्ली सरकार ने इस बारे में 19 फरवरी को उन्हें एक पत्र भी लिखा था। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने जल शक्ति मंत्रालय से इस मुद्दे पर चर्चा के लिये सभी पक्षकारों की बैठक बुलाने का भी अनुरोध किया है।