नई दिल्ली। 21 सितम्बर, 2022 को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्य संन्यासी स्वामी अग्निवेश का 84वां जन्मदिवस तथा विश्व शांति दिवस समारोह सार्वदेशिक सभा के कार्यालय महर्षि दयानन्द भवन, आसफ अली रोड, नई दिल्ली में भव्यता के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गोस्वामी सुशील जी महाराज ने किया।
इस अवसर पर आर्य समाज के यशस्वी संन्यासी स्वामी आर्यवेश, मिशन आर्यावर्त के निदेशक स्वामी आदित्यवेश, जैन सन्त आचार्य विवेक मुनि, दलाई लामा के प्रतिनिधि आचार्य यशी जी, एके मर्चेंट, सामाजिक कार्यकर्ता राजेश यागिक, डॉ लाल रत्नाकर, सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम बहुखंडी, पुरोहित सभा के अध्यक्ष आचार्य प्रेमपाल शास्त्री, बेटी बचाओ अभियान की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन पूनम आर्या, सिक्ख समाज के आचार्य धरम सिंह निहंग, प्रिंसिपल आजाद सिंह, डॉ नरेन्द्र विद्यालंकार, निर्मल कुमार शर्मा, मौलाना शाहीन कासमी जी सहित अनेक महानुभावों ने स्वामी अग्निवेश महाराज को याद करते हुए उन्हें अपनी-अपनी ओर से शुभकामनाएँ प्रेषित की।
सभी वक्ताओं ने स्वामी अग्निवेश के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें दिल से याद किया। सभी लोगों का मानना था कि आज यदि स्वामी अग्निवेश होते तो वे वर्तमान में चल रहे सामाजिक विखराव की एकता के लिए अवश्य ही आगे आकर कार्य करते। वे एक निर्भीक संन्यासी थे। स्वामी अग्निवेश ने अपना पूरा जीवन स्वामी दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाने में लगे रहे।
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते समय उन पर कई बार कातिलाना हमले भी हुए, परन्तु वे कभी भी अपने पथ से विचलित नहीं हुए। उन्होंने अपने जीवन में लाखों गरीब मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराकर उनके हक की लड़ाई लड़ते रहे। स्वामी अग्निवेश सही मायने में मानवता के पुजारी थे।
स्वामी अग्निवेश देश-विदेश में वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अपने विचारों को रखते रहे। आजादी के बाद यदि वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और पूरे देश से सती प्रथा को बन्द करवाने के लिए सरकार को मजबूर किया और सती प्रथा के विरुद्ध कड़ा कानून बनवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामी अग्निवेश का जीवन संघर्षों से भरा पड़ा रहा। वे अपनी प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर सामाजिक कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया। ऐसे महान संन्यासी के जन्मदिन पर आज सैकड़ों लोगों ने उपस्थित होकर उन्हें याद किया।