विश्व पर्यावरण दिवस: प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर चर्चा


इस उपभोक्तावादी संस्कृति में प्लास्टिक से हम बच नहीं सकते। घृणा या नफरत की जगह विवेकपूर्ण उपयोग, समायोजन और पुनश्चक्रण के द्वारा एक सीमा तक मनुष्य और पर्यावरण के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।


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दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। वर्तमान और भविष्य में अरबों टन प्लास्टिक अवशिष्ट का संचय व निस्तारण विश्व के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। यही कारण है कि यूएन पर्यावरण संबंधी एजेंसी के द्वारा वर्ष 2023 थीम: ‘प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान’ (beatplasticpollution)रखा गया है। 5 जून को राजा गार्डन स्थित राजधानी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में विश्व पर्यावरण दिवस सह समारोह बड़ी ही संजीदगी के साथ मनाई गयी।

कॉलेज प्राचार्य प्रो.राजेश गिरि ने विषय प्रवेश करवाते हुए प्लास्टिक प्रदूषण से बिना आतंकित समाधान की ढूढ़ने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि इस उपभोक्तावादी संस्कृति में प्लास्टिक से हम बच नहीं सकते। घृणा या नफरत की जगह विवेकपूर्ण उपयोग, समायोजन और पुनश्चक्रण के द्वारा एक सीमा तक मनुष्य और पर्यावरण के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।

मुख्य अतिथि बुरारी विधायक संजीव झा ने अपने वक्तव्य में इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए समुदाय और छात्र- छात्राओं आगे आने की वक़ालत की और कहा कि कोई भी सरकार तभी अपनी दायित्व का निर्वाह करेगी जब जनता कि सक्रियता इस दिशा में हो। सरकार तो एक प्रतीक है। यदि आप जवाबदेही के साथ आगे बढ़ेंगे तो सरकार को काम करने होंगे; अन्यथा उदासीन रहेगी।

समारोह की मुख्य वक्ता एमसीडी ब्रांड एम्बेसेडर नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. रूबी मखीजा ने चमत्कारिक पदार्थ के रूप प्लास्टिक को देखते हुए और उससे मानव जीवन में उत्पन्न होने वाले खतरे पर विस्तार से चर्चा की। इस क्रम में प्लास्टिक अवशिष्ट संचय में ह्रास, पुनश्चक्रण एवं वैकल्पिक व्यवस्था पर जोर दिया।

उनके अनुसार हर सप्ताह प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में 5 gm प्लास्टिक पानी,हवा और मिट्टी के माध्यम से प्रवेश करता है। कपड़े की थैली का प्रयोग, एकल प्रयोग पोलीथीन को प्रतिबंधित करने और सूखा-गीला कचरा को पृथक रखने की बात कही। पर्यावरण समिति के संयोजक आनंद प्रकाश ने पर्यावरण दिवस की सार्थकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पौधा-रोपण के अलावा विद्यार्थियों के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।