
नई दिल्ली। धर्म एवं प्रकृति जीवन का आधार होते हैं। विश्व के समस्त धर्मों ने जीवन को सहज और सुगम बनाने के लिए कुछ नियम-कानून एवं रीति-रिवाजों का निर्धारण किया है। लेकिन समय के साथ कुछ धार्मिक नियम परिवर्तित हो जाते हैं और कुछ रूढ़।
इसका हमारे जीवन पर व्यापक प्रभाव और दुष्प्रभाव पड़ता है। बुरे परिणाम धार्मिक वैमनस्यताएं खड़ी कर देते हैं। यह वैमनस्य कई बार मानवजाति के लिए घातक साबित हो चुकी हैं। वैश्विक परिपेक्ष्य में घटित कुछ घटनाओं ने मानवता को गहरे प्रभावित करते हुय़े सोचने पर मजबूर किया है।
विश्व में जब-जब एक दूसरे धर्म से संवाद की सतत प्रक्रिया रूकी, तो इसकी कीमत समूची मानवता को चुकानी पड़ी। भारत सदियों से संवाद से समाधान के मार्ग का अनुयायी रहा है। भारत धर्मों-जातियों के बीच संवाद और सहिष्णुता का पैरोकार रहा है।
आज से सौ साल पहले जब दुनिया को विभिन्न धर्मों के बीच संवाद की जरूरत महसूस हुई और अमेरिका में विश्व धर्म संसद आयोजित हुआ तो उसमें भारत और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वामी विवेकानंद ने समस्त विश्व को भारतीय धर्म-ज्ञान से परिचित कराया।
127 साल पहले 11 सितम्बर, 1893 को स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद में पूरी दुनिया के सामने भारत की एक मजबूत छवि को पेश किया।
विश्व धर्म संसद में अपने भाषण की शुरुआत में जैसे ही स्वामी विवेकानंद ने कहा था -“Sisters And Brothers Of America” यानी “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों”…उनके इन शब्दों को सुनकर वहां मौजूद 7 हजार लोगों ने करीब 2 मिनट तक लगातार खड़े होकर तालियां बजाई थीं और उनका अभिवादन किया था। सिर्फ 30 साल की उम्र में एक संन्यासी ने, दुनिया को यह बताया कि दूसरे धर्मों से कैसे संवाद किया जाता है।
हमारे देश में धर्मं पर, शास्त्रों पर खुले मन से चर्चा अथवा संवाद करते रहने की परम्परा रही है। जिस प्रकार स्वामी विवेकानंद ने विश्व में भारत के सनातन धर्मं की व्याख्या कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की सही तस्वीर दिखाने का महान कार्य किया। उसी परम्परा को ध्यान में ऱखते हुए –
स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर 12 जनवरी, 2021 को “विश्व धर्म संवाद” कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं को एक मंच पर आमंत्रित किया जा रहा है ताकि वे मानवमात्र के समक्ष अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं का मूल रूप प्रस्तुत करें। किसी भी धर्म या संप्रदाय को छोटा अथवा बड़ा दिखाने की प्रतिस्पर्धा से मुक्त, यह एक ऐसा आयोजन है जिसमें स्वस्थ चर्चा और एक स्तरीय संवाद लोगों को आलोकित करेंगे।
यह आयोजन किसी पक्ष और विपक्ष में आए बिना,किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा से विमुक्त, पूर्वाग्रह मुक्त यह आयोजन पूर्णरूप से किसी भी राजनैतिक हस्तक्षेप के बिना, एक स्वस्थ और सार्थक चर्चा/संवाद स्थापित करने हेतु संकल्पित है।