नयी दिल्ली। भारत के समाजवादी आंदोलन की 90वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर पर, युवा सोशलिस्ट पहल (YSI) के तत्वावधान में, 31 अक्टूबर (आचार्य नरेंद्रदेव जयंती दिवस) से 1 नवंबर, 2025 तक दिल्ली के राजेंद्र भवन में दो दिवसीय युवा समाजवादी सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन प्रख्यात समाजवादी, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक और आईआईएएस, शिमला के पूर्व फेलो डॉ. प्रेम सिंह के मार्गदर्शन में संचालित किया गया। इस सम्मेलन में देश के लगभग सभी राज्यों से युवा समाजवादी साथियों ने भाग लिया। परिवर्तनकारी राजनीति से जुड़े अन्य क्षेत्रों के युवाओं ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
युवा सोशलिस्ट पहल (यूथ सोशलिस्ट इनिशिएटिव) युवाओं का एक मंच सरोकरधर्मी शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, विद्वानों, छात्रों, ट्रेड यूनियन नेताओं, किसान नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं का साझा मंच है।
सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से युवा पुरुष और महिला समाजवादियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। इस आयोजन के दौरान, स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों के साथ-साथ भारतीय समाजवादी आंदोलन और विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए बौद्धिक और राजनीतिक नेतृत्व की एक नई पीढ़ी तैयार करने का सामूहिक संकल्प लिया गया। यह नव-साम्राज्यवादी पूंजीवाद के साथ-साथ समकालीन भारतीय राजनीति में कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक-फासीवादी गठजोड़ का कड़ा विरोध करता है।
युवा सोशलिस्ट पहल के तहत भारतीय समाजवादी आंदोलन की 100वीं वर्षगांठ तक अगले दस वर्षों में विभिन्न सम्मेलनों, चर्चाओं, कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के आयोजन और एक्शन कार्यकर्मों के माध्यम से युवाओं को समाजवादी विचारों और संवैधानिक मूल्यों के बारे में शिक्षित करना है।
गौरतलब है कि ‘युवा सोशलिस्ट पहल’ युवाओं का एक मंच है जिसमें शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, विद्वान, छात्र, ट्रेड यूनियन नेता, किसान नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता आदि शामिल हैं। यह मंच सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के भूतपूर्व संकाय सदस्य डॉ प्रेम सिंह के दिशा निर्देश व मार्गदर्शन में कार्य करता है। यह मंच भारतीय समाज को बदलने में समाजवादी विचारधारा की क्षमता में विश्वास रखता हैं।
यह मंच व्यापक स्तर पर नव-साम्राज्यवादी पूंजीवाद और राजनीति में सांप्रदायिक फासीवाद और कारपोरेट के अनैतिक व शोषणकारी गठजोड़ का विरोध करता है। यह देश के युवाओं को समाजवादी विचारधारा से शिक्षित करने और वर्तमान भारतीय राजनीति और शासन में कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक राजनीतिक गठजोड़ के बारे में उन्हें जागरूक करने की एक पहल है।
इस मंच के माध्यम से सम्मेलन, गोष्ठियाँ, कार्यशालाएं, सेमिनार आदि का आयोजन करके अगले 10 वर्षों के लिए भारत में समाजवादी आंदोलन के भावी नेतृत्व को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। युवा सोशलिस्ट पहल का उद्देश्य अगले 10 वर्षों में विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से वैचारिक स्तर पर भारतीय समाजवादी आंदोलन को युवाओं के बीच स्थापित करके भारतीय समाजवादी आंदोलन के आगामी शताब्दी समारोह तक एक मज़बूत आधार तैयार करना है।
सम्मेलन का उद्घाटन सोशलिस्ट युवजन सभा (एसवाईएस) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अभिजीत वैद्य ने किया और अध्यक्षता राजनीतिशास्त्री एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक प्रोफेसर अनिल मिश्रा ने की। सम्मेलन की शुरुआत सोशलिस्ट युवजन सभा (एसवाईएस) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अभिजीत वैद्य के रिकॉर्ड किए गए उद्घाटन भाषण से हुई, क्योंकि महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास कार्यों में व्यस्त होने के कारण वे सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके।
उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष प्रो. अनिल मिश्रा के साथ प्रोफेसर जी सत्यनारायण, अरुण श्रीवास्तव, जयंती भाई पांचाल, राजशेखरन नायर, ईके श्रीनिवासन, अप्पा साहेब, शाहिद सलीम, आदित्य कुमार, चरण सिंह राजपूत, देवेंद्र अवाना सहित वरिष्ठ समाजवादी विचारकों/विद्वानों और नेताओं ने अपने ज्ञानवर्धक भाषणों से युवाओं को जागरूक किया।
सम्मेलन के पहले दिन तीन प्रस्ताव-आर्थिक नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य, स्वास्थ्य नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य और शिक्षा नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किए गए, जिन पर चर्चा हुई और उन्हें पारित किया गया। आर्थिक नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने की और संचालन डीयू के संकाय सदस्य डॉ. हिरण्य हिमकर ने किया। ज्योति चौहान ने प्रो. अरुण कुमार द्वारा स्वयं तैयार किया गया प्रस्ताव पढ़ा।
सत्र में युवाओं द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में रोज़गार के अवसरों की कमी, गरीबी और कल्याणकारी नीतियों के लिए बजटीय आवंटन, जीएसटी सुधार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि भूमि का पुनर्वितरण, जाति-संवेदनशील शहरीकरण, काली अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार शामिल थे। प्रो. अरुण कुमार ने आर्थिक नीति को और अधिक जन-अनुकूल बनाने के लिए आईएमएफ और विश्व बैंक के हस्तक्षेप के कारण भारतीय राज्य की क्षीण हुई संप्रभुता को पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश में बढ़ती आर्थिक असमानता के प्रति भी आगाह किया।
स्वास्थ्य नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुनीलम ने की। राज रानी ने प्रस्ताव पढ़ा। शिक्षा नीति पर समाजवादी परिप्रेक्ष्य पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी एवं अधिवक्ता श्री राजशेखरन नायर ने की। वंदना पांडे ने प्रो. अनिल सद्गोपाल द्वारा तैयार किया गया प्रस्ताव पढ़ा। डीयू की प्राध्यापक डॉ. हेमलता ने सत्र का संचालन किया। इन सत्रों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के लिए एक समाजवादी रोडमैप प्रस्तुत किया गया।
विचार-मंथन सत्रों के बाद, लोहिया विचार वेदी और साहित्य वार्ता द्वारा आयोजित एक काव्य- संध्या का आयोजन किया गया। काव्य-संध्या की अध्यक्षता प्रख्यात हिंदी कवि श्री गिरधर राठी ने की। वरिष्ठ कवि श्री मिथिलेश श्रीवास्तव, श्री राकेश रेणु और श्री राजेंद्र राजन ने भी अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ किया। युवा एवं उभरते कवि अदनान काफिल दरवेश, अनुपम सिंह, सरोज कुमारी, महजबीन, अर्चना लार्क, जावेद आलम, आलोक मिश्रा और हर्ष पांडे ने भी अपनी कविताएँ सुनाईं।
युवा सोशलिस्ट सम्मेलन के दूसरे व अंतिम दिन रोजगार नीति, विकास नीति और संस्कृति नीति पर समाजवादी परिपेक्ष्य संबंधित प्रस्तावों पर विचार विमर्श कर उन्हें पारित किया गया। रोजगार नीति पर समाजवादी परिपेक्ष्य से संबंधित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार व लेखक श्री अरविंद मोहन द्वारा की गई। वंदना पांडे ने प्रस्ताव पढ़ा। सत्र का संचालन डॉ. हिरण्य हिमकर ने किया।
विकास नीति पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व संकाय सदस्य डॉ. अजीत झा ने की। इल्मा मलिक ने अरुण त्रिपाठी द्वारा तैयार प्रस्ताव पढ़ा। सांस्कृतिक नीति पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता अधिवक्ता एवं भारतीय समाजवादी मंच के अध्यक्ष श्री आदित्य कुमार ने की। नीरज कुमार ने प्रो. राजाराम तोलपड़ी द्वारा तैयार किया गया प्रस्ताव पढ़ा। सत्र का संचालन राजेश कुमार ने किया।
सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता श्री जयंती भाई पंचाल ने की। इस सत्र में वक्ताओं ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए युवा सोशलिस्ट पहल की पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएँ दीं तथा भविष्य की गतिविधियों के लिए अपने सुझाव दिए। वक्ताओं ने विशेष रूप से युवाओं से अगले दस वर्षों में समाजवादी आंदोलन को सड़कों पर उतारने और जनता के बुनियादी मुद्दों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। साम्राज्यवादी पूंजीवाद और सांप्रदायिक व कॉर्पोरेट ताकतों के शोषणकारी गठजोड़ के विरुद्ध जनजागरण का सामूहिक संकल्प लिया गया।
युवा समाजवादी छात्रों और नेताओं ने पूंजीवाद के ढाँचे में मनुवादी-ब्राह्मणवादी जाति व्यवस्था की शोषणकारी भूमिका की चुनौती का सामना करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया और आग्रह किया कि समाजवादी आंदोलन को वर्तमान दौर में भारतीय समाज में जाति और लिंग आधारित असमानताओं को दूर करने के लिए अपनी रणनीति स्पष्ट रूप से परिभाषित करनी चाहिए।
युवा सोशलिस्ट सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता श्री जयंती भाई पांचाल ने की। समापन सत्र में विभिन्न वक्ताओं द्वारा युवा सोशलिस्ट पहल की पूरी टीम को सफल आयोजन के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी गई। सम्मेलन में उपस्थित युवाओं से विशेष रूप से अपील की गई कि समाजवादी आंदोलन को आगामी 10 वर्षों में सड़कों पर उतारा जाए और जनता के मूलभूत मुद्दों को प्राथमिकता दी जाए। देश की जनता को साम्राज्यवादी पूंजीवाद और सांप्रदायिक-कॉरपोरेट के शोषणकारी गठजोड़ के प्रति सचेत करने का प्रण लिया गया।
समापन सत्र में युवा समाजवादी छात्रों व नेताओं द्वारा यह जोर देकर सम्मेलन से अपील की गई कि पूंजीवाद के साथ मनुवादी ब्राह्मणवादी जाति व्यवस्था की समाज में शोषणकारी भूमिका को समाजवादी आंदोलन में विशेष रूप से शामिल किया जाए और भारतीय समाज में जाति और लिंग आधारित असमानता की समाप्ति पर समाजवादी रणनीति को स्पष्ट किया जाए।
डॉ प्रेम सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कमेटी के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया जिसमें प्रत्येक राज्य से कम से कम दो सदस्यों को शामिल किया जाए, जिसमें एक महिला व एक पुरुष हो। इसी प्रकार राज्य स्तर पर दस सदस्यों की कमेटी बनाई जाए जिसमें महिलाओं व पुरुषों की बराबर भागीदारी हो। इस प्रकार राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर समाजवादी आंदोलन का एक संगठन बनाया जाए जो आगामी 10 वर्षों में समाजवादी आंदोलन की विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाए।
डॉ. प्रेम सिंह ने समाजवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे समाजवादी विचारों को ज़मीन पर उतारने के लिए चुनावी जीत या सरकारों के गठन का इंतज़ार न करें। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह विचार और बाज़ार के बीच एक सीधी लड़ाई है, और समाजवादी आंदोलन को यह संदेश जनता तक स्पष्ट रूप से पहुँचाना होगा। इसके लिए, उन्होंने भारतीय समाज में वर्ष भर त्योहारों और सांस्कृतिक-सामाजिक समारोहों के दौरान समाजवादी कार्यकर्ताओं की सक्रिय सांस्कृतिक उपस्थिति के महत्व पर ज़ोर दिया।
उन्होंने समाजवादी मीडिया के विकास का भी प्रस्ताव रखा और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर समाजवादी आंदोलन के विस्तार का आग्रह किया। उन्होंने सोशलिस्ट युवजन सभा (SYS) के बैनर तले छात्र राजनीतिक सक्रियता को पुनर्जीवित करने पर विशेष ज़ोर दिया। चर्चा के दौरान, युवा समाजवादी नेताओं ने सम्मेलन को छात्र राजनीति करते समय आने वाली व्यावहारिक वित्तीय और कानूनी चुनौतियों से अवगत कराया। डॉ. प्रेम सिंह ने सुझाव दिया कि पूर्णकालिक युवा राजनीतिक कार्यकर्ताओं, विशेष रूप से छात्र राजनीति में, की सहायता के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता कोष स्थापित किया जाना चाहिए।
सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। शाहिद सलीम ने प्रतिभागियों को जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुद्दों से अवगत कराया। डॉ. प्रेम सिंह ने शाहिद सलीम जी को सम्मानित किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय समाजवादी आंदोलन हमेशा से कश्मीर मुद्दे के प्रति चिंतित और प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी रहेगा।
सम्मेलन बड़े उत्साह और भागीदारी के साथ संपन्न हुआ। देश भर से बड़ी संख्या में युवाओं, राजनीतिक नेताओं, शिक्षाविदों, किसानों, मज़दूरों और आम नागरिकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। दोनों दिन, राजेंद्र भवन का भव्य सभागार सचेत और ऊर्जावान श्रोताओं से भरा रहा, जो भारत में समाजवादी आंदोलन के पुनरुद्धार में भारतीय जनता, विशेषकर युवाओं की बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
गाजा में तत्काल शांति स्थापित करने और समस्या के द्वि-राष्ट्र समाधान के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य डॉ. शशि शेखर सिंह ने दिया। अंत में प्रतिष्ठित समाजवादी डॉ. जीजी पारिख, जिनका पिछले महीने निधन हो गया था, को श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखा गया।
(युवा सोशलिस्ट पहल के लिए डॉ. हिरण्य हिमकर द्वारा जारी)
