बिहार भाजपा में गुटबाजी तेज होने की आशंका, पार्टी प्रभारी से बढ़ी नाराजगी


नई सरकार की शुरुआत दिलचस्प है। बिहार भाजपा में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर नाराजगी है। भाजपा ने बेशक दो अति पिछड़ी जाति के डिप्टी सीएम बनाए है। लेकिन इससे सारे अति पिछड़े संतुष्ट होंगे यह कहना मुश्किल है।


संजीव पांडेय संजीव पांडेय
राज्य Updated On :
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी।


बिहार में नवगठित नीतीश मंत्रिमंडल का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। भाजपा कोटे से बने दो डिप्टी सीएम के वीडियो वायरल किए जा रहे है। वायरल वीडियो में एक डिप्टी सीएम तो नरेंद्र मोदी की जगह नीतीश कुमार को भारत का प्रधानमंत्री बता रहे है। वहीं दूसरी डिप्टी सीएम दो हजार बीस को बीस हजार बीस बता रही है। दोनों की शैक्षिक योग्यता का भी जमकर मजाक उड़ रहा है।

वहीं मंत्रीमंडल में शामिल किए गए एक मंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि मंत्रिमंडल गठन से पहले बिहार भाजपा में जमकर गुटबाजी सामने आयी। डिप्टी सीएम पद से सुशील मोदी की छुटी हो गई है। वे अपनी छुट्टी से खासे नाराज है। वहीं तमाम जातियों को मंत्रिमंडल में संतुलित करने में भी भाजपा को दिक्कत आयी है। मंत्रिमंडल के विस्तार में भाजपा जातीय संतुलन को और बनाने की कोशिश करेगी। लेकिन मंत्रिमंडल के गठन ने साफ संकेत दिया है कि बिहार भाजपा में अब पहले का समीकरण कमजोर पड़ सकता है।

बिहार में मंत्रिमंडल गठन के बाद बिहार भाजपा में विभाजन तीखा हो गया है। यह विभाजन भविष्य में और बढ़ेगा। मंत्रिमडल के गठन से पहले बिहार भाजपा में पार्टी प्रभारी भूपेंद्र यादव ने अपने वर्चस्व का जमकर इस्तेमाल किया। सुशील मोदी डिप्टी सीएम नहीं बन पाए। बिहार भाजपा में मजबूत सुशील मोदी गुट को नित्यानंद राय के नेतृत्व में बना नया गुट अब सीधी चुनौती दे रहा है। नित्यानंद राय को भूपेंद्र यादव का समर्थन है, जो बिहार में इस समय भाजपा में स्वजातीय नेताओं को स्थापित कर रहे है।

भूपेंद्र यादव बिहार भाजपा में यादव लॉबी को मजबूत कर रहे है। भूपेंद्र यादव की अहम इच्छा नित्यानंद राय को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना है। लेकिन यह तभी संभव है जब सुशील मोदी बिहार भाजपा की राजनीति में हाशिए पर आ जाए। सुशील मोदी को कुछ हद तक हाशिए पर लाने में भूपेंद्र यादव कामयाब भी हो गए। सुशील मोदी को उन्होंने डिप्टी सीएम नहीं बनने दिया। यही नहीं बिहार सरकार में शामिल भाजपा की पुरानी टीम को भी उड़ा दिया, जो सुशील मोदी के इशारे पर ही चलती थी।

लेकिन सुशील मोदी ने भी अपनी चाल चली है। अंत समय तक नित्यानंद राय को भूपेंद्र यादव डिप्टी सीएम बनाना चाहते थे। ताकि भविष्य में नित्यानंद राय को बिहार में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा सके। लेकिन नित्यानंद राय को डिप्टी सीएम पद सुशील मोदी के विरोध के कारण नहीं मिल पाया। डिप्टी सीएम के दोनों पदों पर सुशील मोदी के लोग विराजमान हो गए।

दरअसल मुसीबत में पड़े सुशील मोदी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सहारा मिला। नीतीश कुमार किसी भी कीमत पर नित्यानंद राय को डिप्टी सीएम नहीं बनाना चाहते थे। नीतीश कुमार सरकारी गलियारे में यादव धुरी को किसी भी कीमत पर मजबूत नहीं होने देना चाहते है। वैसे में सुशील मोदी को नीतीश ने नित्यानंद राय को रोकने में पूरी मदद की। हालांकि भूपेंद्र यादव ने यादव जाति के रामसूरत राय को मंत्री बनवाकर संदेश दिया कि उत्तर बिहार की यादव ल़ॉबी भविष्य में बिहार भाजपा में मजबूत होगी।

नई सरकार की शुरुआत दिलचस्प है। बिहार भाजपा में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर नाराजगी है। भाजपा ने बेशक दो अति पिछड़ी जाति के डिप्टी सीएम बनाए है। लेकिन इससे सारे अति पिछड़े संतुष्ट होंगे यह कहना मुश्किल है। वैसे भाजपा ने दो अति पिछड़ों को डिप्टी सीएम बनाकर नीतीश के अति पिछड़ों की राजनीति को खत्म करने का संकेत दिया है। लेकिन भाजपा का यह खेल अति पिछड़ी जातियों में भी टकराव पैदा करेगा।

दरअसल बिहार में जातियों की राजनीति माइक्रो लेवल पर होती है। एक जाति को अगर एक पार्टी खुश करती है तो दूसरी जाति नाराज होती है। भाजपा ने बेशक एक कलवार और एक नोनिया जाति के प्रतिनिधि को डिप्टी सीएम बनाकर नई राजनीति का संदेश दिया है। लेकिन अब वे दूसरी अति पिछड़ी जातियां नाराज है, जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।

1990 से लगातार विधायक बन रहे अति पिछड़ी कहार जाति से संबंधित प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। वे पिछले सरकारों में वरिष्ठ मंत्री रहे है। प्रेम कुमार को नजरअंदाज किए जाने से कहार जाति नाराज हो सकती है। जल्द ही भाजपा में विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए टकराव होगा। बिहार विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के कोटे में है। भाजपा में सक्रिय यादव गुट चाहता है कि मंत्री बनने से रह गए पार्टी के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाए। वहीं मंत्री बनने से रह गए कहार जाति के प्रेम कुमार चाहते है कि वरिष्ठता के आधार पर विधानसभा का अध्यक्ष उन्हें बनाया जाए।

भाजपा बिहार की राजनीति में भविष्य की चुनौतियों को समझ रही है। भाजपा इस बात को जानती है कि बिहार भाजपा के अंदर यादवों के वर्चस्व को दूसरी अगड़ी जातियां बरदाश्त नही कर रही है। भाजपा को इस चुनाव में इस कारण कई विधानसभा सीटों पर परेशानी हुई। बेशक भाजपा की सीटें 2015 के मुकाबले इस चुनाव में बढ़ी है। लेकिन भाजपा अगड़ी जाति के वर्चस्व वाली कई सीटें हारी है।

दरअसल भाजपा की इज्जत औवेसी की पार्टी ने बचायी। भाजपा की इज्जत कांग्रेस की गलतियों ने बचायी। भाजपा इस बात को जानती है कि भाजपा का कोर वोट अगड़ी जातियां इस समय भाजपा के पिछड़ावाद से नाराज है। इसलिए अगड़ी जातियां नए ठिकाने के तलाश में है। यही काऱण है कि भाजपा ने अपने कोटे से भूमिहार जीवेश मिश्रा, ब्राहमण मंगल पांडेय और राजपूत अमरेंद्र प्रताप सिंह को मंत्री बनाया है। जीवेश मिश्रा सुशील मोदी गुट से संबंधित नहीं है। जबकि मंगल पांडेय सुशील मोदी के खास है।

नीतीश कुमार भी चुनाव में अगड़ी जातियों की नाराजगी देख चुके है। पहले चरण की सीटों पर उनकी करारी हार हुई है। कई जगहों पर अगड़ी जातियों ने लोक जनशक्ति पार्टी को समर्थन दिया। नीतीश ने इसी डैमेज कंट्रोल के लिए भूमिहार विजय चौधरी को मंत्री बनाया है। विजय चौधरी नीतीश के विश्वासपात्र है, विधानसभा अध्यक्ष भी रहे है।



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