अहमदाबाद। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए यहां स्थित एक झुग्गी कॉलोनी से हटाए गए 318 लोगों ने पुनर्वास के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया है।
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव की खंडपीठ ने सोमवार को विस्थापितों की याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने याचिका की अग्रिम प्रतियां पश्चिम रेलवे, ‘नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन’ और अहमदाबाद नगर निगम को देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी।
श्रमिकों के संगठन ‘बंदकाम मजदूर संगठन’ द्वारा दायर की गई याचिका में साबरमती क्षेत्र की जेपी नी चाली झुग्गी में रहने वाले लोगों ने कहा है कि वह उस इलाके में 30 साल से रह रहे हैं और बिना किसी पुनर्वास योजना के उन्हें वहां से हटा दिया गया।
याचिका के अनुसार, नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन ने मौखिक तौर पर पुनर्वास का आश्वासन दिया था लेकिन रेलवे प्रशासन द्वारा झुग्गी में रहने वालों को 22 फरवरी को 2021 को खाली करने का नोटिस दिया गया।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अहमदाबाद नगर निगम और पश्चिम रेलवे के सामने पक्ष रखे जाने के बावजूद रेलवे प्रशासन ने 15 मार्च को निवासियों के घर तोड़ने शुरू कर दिए। याचिका में अनुरोध किया गया है कि झुग्गी निवासियों को जल्द से जल्द पुर्नवास कराया जाए।