गुड़गांव। देश भर में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, वहीं केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। नए कृषि कानूनों पर सरकार को घेर रही कांग्रेस के हाथ एक नया मुद्दा लग गया है। देश के कई राज्यों में तो पेट्रोल की कीमत शतक लगा चुकी है। दिल्ली से सटे हरियाणा के गुड़गांव में कांग्रेस ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर केंद्र को आड़े हाथों लिया।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने कहा कि तीन कृषि कानूनों की तरह ही पैट्रोल-डीजल और गैस के बढ़ते दामों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूरी भाजपा पार्टी ही देश को गुमराह कर रही है। पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों के बीच पीएम और भाजपा नेताओं के बयान शर्मनाक और बचकाना हैं। बढ़ती कीमतों को थामने के समाधान की बजाय देश को जुमलों में उलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री और अन्य भाजपा नेताओं के बयानों से साफ है कि पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों से आम जनता को कोई राहत नहीं मिलेगी। सरकार अपनी एक्साईज ड्यूटी कम करने या छोड़ने को कतई तैयार नहीं है। जबकि सरकार का नैतिक फर्ज बनता है कि मुश्किल के दौर में जब चारों ओर हाहाकार मचा हो तो उसके समाधान के प्रयास किए जाएं, लेकिन सरकार ऐसी कोई मंशा जाहिर ही नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता पूर्ववर्ती सरकारों पर इसका दोष मढ़ रही है।
राजन ने कहा कि जबकि कांग्रेस के शासन में बढ़ती कीमतों को थामने के पूरे प्रयास किए गए और वो सफल भी रहे। सरकार पेट्रो बॉन्ड का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती है। सरकार का दावा है कि एक लाख 40 हजार करोड़ के बॉन्ड भुगतान करने के लिए उसे राजस्व जुटाना पड़ रहा है। सरकार कह रही है कि हर साल 9 हजार करोड़ रुपए उसे बॉन्ड के ब्याज के रूप में देना पड़ रहा है जबकि हकीकत में सरकार ने अभी तक महज तीन हजार 500 कुछ करोड़ का ही भुगतान किया है। जबकि सरकार राजस्व के रूप में जनता से 21 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि वसूल चुकी है।
सरकार यह साफ करे कि बाकी राशि कहां गई? झूठ और जुमलों के सहारे देश को को लंबे समय तक नहीं भरमाया जा सकता। हकीकत देश के सामने आकर ही रहेगी। अब धीरे धीरे हर पहलू पर भाजपा की हकीकत सामने आ रही है। देश के अन्नदाता के साथ भाजपा पहले ही बहुत बड़ा षड़यंत्र कर चुकी है, अब यही काम पूरे देश की जनता के साथ कर रही है। देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का जुमला छोड़ा जा रहा है।
जिसकी अवधि सरकार ने 2030 तय की है। अगर हकीकत देखें तो 2030 तक ऊर्जा क्षेत्र में महज 20 फीसदी ही उत्पादन किया जा सकेगा। क्या यह देश की आपूर्ति के लिए पर्याप्त होगा और क्या 2030 तक आम जनता इसी तरह मंहगाई की मार झेलती रहेगी। सरकार बढ़ते दामों को थामने के लिए तत्काल अपनी एक्साईज ड्यूटी कम करें और राज्यों को भी ऐसा करने के निर्देश दें। तभी आम जन को राहत मिल सकती है।
ये पहल भाजपा शासित प्रदेश करें और अपने सहयोगियों को भी ऐसा करने को कहें। बिहार में भाजपा की सहयोगी जदयू ने लोगों को राहत देने से साफ मना कर दिया है। जदयू के मुताबिक हरियाणा जैसे सम्पन्न राज्य ही ऐसा कर सकते हैं। कुल मिलाकर भाजपा के अच्छे दिन अब देश की जनता देख रही है। जनता भी भाजपा को अच्छे से अच्छे दिन दिखाने का मन बना चुकी है और इसकी शुरुआत पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव से हो चुकी है।