धरोहर प्रेमियों की सरकार से अपील, ‘पटना कलेक्ट्रेट’ न करें ध्वस्त

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नई दिल्ली। देशभर के कई धरोहर प्रेमियों ने सरकार से सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट को ध्वस्त ना करने की अपील करते हुए कहा कि इस पर अधिक ध्यान देने से सरकार को ‘राजस्व हासिल’ करने में मदद मिल सकती है। इसके अधिकतर हिस्सों का निर्माण डच युग में किया गया था। बिहार की राजधानी में बने इस ऐतिहासिक स्थल का भाग्य फिलहाल अधर में लटका है। पटना से वडोदरा और दिल्ली से कोलकाता तक के विशेषज्ञों तथा आम लोगों ने सरकार से एक बार फिर गंगा नदी के किनारे स्थित प्रतिष्ठित परिसर को ध्वस्त नहीं करने की अपील की है।

विरासत पर काम करने वाले संगठन इनटैक की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने 18 सितम्बर को पटना कलेक्ट्रेट को ध्वस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके नए परिसर की आधारशिला रखी थी और राज्य के चुनाव से पहले अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया था लेकिन उसके दो दिन बाद शीर्ष अदालत ने इसे ध्वस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी। कोलकाता के संरक्षण वास्तुकार मनीष चक्रवर्ती ने कहा कि पर्यटन का उपयोग ‘‘शिक्षा’’ और ‘‘विरासत के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने’’ दोनों के लिए किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, दुनिया भर में, एक नया रुझान शुरू हो रहा है, जिसमें लोग अब एक शहर की वास्तविक जीवित विरासत का अनुभव करना चाहते हैं, जिसपर लोग रोजाना बात करते हैं। वे शहर के ऐतिहासिक तत्वों के बारे में कम बात करना चाहते हैं, जो केवल प्रसिद्ध या प्रसिद्ध लोगों के बारे में हों और पटना के लिए, कलक्ट्रेट ऐसा ही एक ऐतिहासिक स्थल है।

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में यूनेस्को की पुरस्कृत योजना के लिए काम कर चुके चक्रवर्ती ने बिहार सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इस ‘‘शहर की इस अमूल्य धरोहर’’ को दूर ना रने की अपील की। बिहार सरकार ने 2016 में इसे ध्वस्त करने को एक प्रस्ताव रख, एक नए परिसर के निर्माण के लिए रास्ता बनाया था, जिसका भारत और विदेशों में विभिन्न स्तरों पर विरोध किया गया था।

तत्कालीन डच राजदूत अल्फोंस स्टोइलिंग ने 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पटना कलेक्ट्रेट को भारत और नीदरलैंड की ‘‘साझा विरासत’’ के रूप में संरक्षित करने की अपील भी की थी। पटना की बीना मिश्रा (67) ने कहा कि दुनिया भर में लोग अपनी पुरानी इमारतों को संरक्षित कर रहे हैं, लेकिन हमारी सरकार उसके विरासत मूल्य और पर्यटन की संभावनाओं का इस्तेमाल करने के बजाय, इसे ध्वस्त करने पर तुली हुई है।

दिल्ली के ‘ब्रांड’ रणनीतिकार रमेश ताहिलियानी ने विध्वंस के आदेश को ‘‘लापरवाही भरा’’ और‘‘एक खतरनाक कदम’’ करार देते हुए कहा कि यह अतीत के गौरव के शहर को बर्बाद कर सकता है। वहीं वडोदरा के डेटा विश्लेषक एवं डिजिटल ग्राफर अनिमेष पाठक ने कहा, पटना में मेरी दिलचस्पी ‘सेव हिस्टोरिक पटना कलेक्ट्रेट’ अभियान से जुड़ने के बाद बढ़ी, जो अब एक जन आंदोलन बन गया है।