
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में लोगों को रियायती दरों पर बिजली और पानी मुहैया कराने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार से बृहस्पतिवार को इंकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका में ‘कोई दम’ नहीं है। साथ ही 28 जुलाई को जनहित याचिका खारिज करने और याचिकाकर्ता पर 25, 000 रुपये जुर्माना लगाने के अदालत के फैसले में भी प्रथम दृष्ट्या कोई त्रुटि नहीं है।
अदालत ने इस टिप्पणी के साथ ही पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के निवासी याचिकाकर्ता शैलेन्द्र कुमार सिंह पर जुर्माना लगाने का फैसला वापस लेने से भी इंकार कर दिया। याचिका खारिज किये जाने से पहले इस पर एक घंटे से भी अधिक समय तक सुनवाई हुई।
अदालत ने 28 जुलाई को सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि रियायत देना पूरी तरह से नीतिगत फैसला है, जिसमें वह दखल नहीं दे सकती। सिंह ने जनहित याचिका में दावा किया था कि लोगों को रियायती दरों पर बिजली और पानी मुहैया कराने की दिल्ली सरकार की नीति भारत के नागरिकों को मिले समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। साथ ही यह कल्याणकारी राज्य के संवैधानिक दृष्टिकोण का भी उल्लंघन है।