
जयपुर। जब तक पतित पावनी गंगा में अस्थियां विसर्जित न हो, तब तक मरने वाले को मोक्ष नहीं मिलता है। राजा सगर के पुत्रों के मोक्ष के लिए राजा भगीरथ कड़ी तपस्या कर गंगा को धरती पर लाये थे। लोग अस्थियां प्रवाहित करने वाराणसी, प्रागराज और हरिद्वार जाते हैं। अब राजस्थान के लोग बिना किसी खर्च के अस्थियां गंगा में प्रवाहित कर सकते हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने के मकसद से हरिद्वार आने-जाने के लिए राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों से निःशुल्क यात्रा कराने के लिए शुरू की गई ‘मोक्ष कलश योजना-2020‘ को प्रशासनिक मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना में नोडल एजेंसी राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम होगा जबकि वित्त पोषक विभाग देवस्थान विभाग होगा। योजना के तहत हुए समस्त व्यय के भुगतान की व्यवस्था देवस्थान विभाग द्वारा की जाएगी।
गहलोत ने कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण अपनों की अस्थियों के विसर्जन के लिए इंतजार करने वाले परिवार के दो सदस्यों को अस्थि कलश के साथ हरिद्वार आने-जाने के लिए राजस्थान रोडवेज की बसों से निःशुल्क यात्रा की सुविधा शुरू की थी। योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसका लाभ आयकरदाता एवं सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी ले सकेंगे।