श्रीनगर। कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले उम्मीदवारों के भाषणों के बजाए उनके बीच से असंतोष की आवाजें सुनाई दे रही हैं। ज्यादातर दलों का दावा है कि उनके नेताओं को सुरक्षा की आड़ में दूरदराज के होटलों तक सीमित कर दिया गया है और वे स्वतंत्रतापूर्वक प्रचार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उन पर अनेक पाबंदियां लगाई गई हैं।
जिला विकास परिषद के चुनाव 28 नवंबर को होने जा रहे हैं, लेकिन कई उम्मीदवारों का आरोप है कि इनमें निष्पक्षता नहीं बरती जा रही है।अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्रदत्त विशेष दर्जा पिछले वर्ष अगस्त में वापस लिए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद यह पहले चुनाव हैं।
चुनाव में सात दलों के गठबंधन गुपकर समेत अन्य राजनीतिक दलों में इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लेकर उत्साह नजर नहीं आ रहा। दलों का प्रशासन पर आरोप है कि उसने प्रचार के घंटे सख्ती के साथ कम कर दिए हैं और उनके उम्मीदवारों को सरकारी कार के बिना बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी ने कहा- ‘‘भाजपा और ‘‘किंग्स पार्टी’’ के उम्मीदवारों और उनके निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को निजी सुरक्षा तथा बुलेटप्रूफ वाहन दिए जा रहे हैं जबकि अन्य उम्मीदवारों को दूर दराज के सरकारी आवासों तक खदेड़ दिया गया है। क्या यह निष्पक्ष अवसर देने का ‘नया मंत्र’ है?’’
वानी ने जिस ‘‘किंग्स पार्टी’’ का जिक्र किया है वह ‘अपनी पार्टी’ के संदर्भ में है जो व्यवसायी से नेता बने अल्ताफ बुखारी द्वारा गठित दल है।
वानी ने कहा कि गुपकर गठबंधन के उम्मीदवारों को कई स्थानों पर होटलों और अतिथि गृहों में बंद कर दिया गया है तथा प्रचार की अनुमति नहीं दी गई है।
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा कि- हर एक उम्मीदवार को सुरक्षा देना कठिन है। हम उन्हें सामूहिक सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं और उन्हें सुरक्षित इलाकों में रखा गया है।
बडगाम जिले के खाग इलाके से नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से गुपकर गठबंधन के उम्मीदवार रियास मट्टू ने कहा कि उन्हें यहां होटल में रखा गया है और प्रचार नहीं करने दिया जा रहा जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी स्वतंत्र होकर काम कर रहे हैं।