महबूबा मुफ्ती ने कहा- जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ ‘दिल की दूरी’ मिटाने की जरूरत


पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि वह खुद तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी जब तक कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता। उन्होंने साथ ही कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए कि पूर्ववर्ती राज्य के लोगों के साथ ‘‘दिल की दूरी’’ समाप्त हो।


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जम्मू-कश्मीर Updated On :

नई दिल्ली। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि वह खुद तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी जब तक कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता। उन्होंने साथ ही कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए कि पूर्ववर्ती राज्य के लोगों के साथ ‘‘दिल की दूरी’’ समाप्त हो।

पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त करने के लिए 5 अगस्त, 2019 को पारित किए गए आदेशों को हटाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘दमन और उत्पीड़न के युग’’ को समाप्त करना होगा।

5 अगस्त, 2019 को विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।

महबूबा ने कहा, ‘‘मैंने कई बार स्पष्ट किया है कि मैं केंद्र शासित प्रदेश के तहत कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी, लेकिन साथ ही मेरी पार्टी इस तथ्य से भी अवगत है कि हम किसी को राजनीतिक स्थान नहीं लेने देंगे। हमने पिछले साल जिला विकास परिषद का चुनाव लड़ा था।’’

पीडीपी अध्यक्ष ने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘’इसी तरह अगर विधानसभा चुनाव की घोषणा होती है तो पार्टी बैठकर चर्चा करेगी।’’

हालांकि, जम्मू-कश्मीर के लिए आगे की राह पर चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहीं महबूबा ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वास बहाली के कई उपाय करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इनमें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों के पर्यटन और व्यापारिक समुदाय को राहत प्रदान करना शामिल है।

पीडीपी नेता ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ दिल की दूरी को कम करना होगा और इसके लिए पारित सभी कठोर आदेशों पर अमल को रोकना होगा। आजकल जम्मू-कश्मीर में दमन का युग है।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘जिस किसी को भी किसी अधिकारी के खिलाफ शिकायत होती है, उसे ऐहतियाती हिरासत में डाल दिया जाता है, ट्विटर पर वास्तविक भावनाओं को उजागर करने से आपको जेल हो जाती है। क्या इसे ही लोकतंत्र कहा जाता है।’’

महबूबा ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगाने और लोगों को खुलकर सांस लेने देने की तत्काल आवश्यकता है।

14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वरिष्ठ नौकरशाहों से भी मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद और उमर अब्दुल्ला आदि शामिल थे।



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