अब बॉर्डर की बेटियां भी होगीं आर्म्ड फोर्सेज का हिस्सा

इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को जम्मू के जिला प्रशासन ने मिशन यूथ के तहत शुरू किया है।

नई दिल्ली। भारत सरकार ने बॉर्डर की बेटियों के लिए बड़ी पहल शुरु की है। जिसके तहत अब बॉर्डर पर रह रहीं बेटियों को भी आर्म्ड फोर्सेज में भर्ती होने का मौका मिलेगा और देश के बेटों की तरह वे भी अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगी। जिस पहल के चलते अब बड़े स्तर पर ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुवात हो गई है।

बॉर्डर की बेटियां भी अब बॉर्डर के बेटों की तरह सेना और दूसरे सुरक्षाबलों का हिस्सा बनेगी । पाकिस्तानी फायरिंग झलने वाले बॉर्डर के युवाओं खास तौर पर लड़कियों के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुवात की है जो बॉर्डर के युवाओं की तकदीर बदलने का काम करेगा।

इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को जम्मू के जिला प्रशासन ने मिशन यूथ के तहत शुरू किया है। जिसमें सबसे पहले बॉर्डर के 9 ब्लॉक के बच्चों को शामिल किया जा रहा है। यह पहला मौका है जब बॉर्डर की लड़कियां इसमें शामिल हुई है। 9 ब्लॉक में करीब 630 युवाओं को इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुना गया है जिसमे 142 लडकिया शामिल है। हर सेंटर में 70 लड़के और लड़कियां इस प्रोग्राम का हिस्सा बने हैं ।

इस प्रोग्राम की खास बात यह है इसमें फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ बच्चों को एकेडमी ट्रेनिंग भी दी जा रही है बॉर्डर के बच्चों को ना केवल आर्म्ड फोर्सेज के लिए बल्कि दूसरे कंपीटेटिव एग्जाम्स के लिए भी तैयार किया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत जम्मू में शुरू किए गए इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में फिलहाल बॉर्डर के 9 ब्लॉक अरनिया ,सुचेतगढ़,संवान और अखनूर मंडल,परगवाल,मढ़,खोर,खराबली और अखनूर शामिल किए गए है।

खास तौर पर अरनिया,आर एस पुरा, सुचेतगढ़ यह वैसे इलाके है जो हमेशा पाकिस्तान की फायरिंग की जद में रहे हैं। पाकिस्तान की फायरिंग के चलते इन इलाकों के लोगों को हमेशा से ही भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जान माल के नुकसान साथ-साथ बॉर्डर के लोगों के बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान पढ़ाई में उठाना पड़ा है। ऐसे में युवाओं के बीच बॉर्डर पर बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या भी है।जिसको ध्यान में रखते हुए मिशन युथ के तहत यह पूरा प्रोग्राम डिजाइन किया गया है।

इस प्रोग्राम को सी डाइट का नाम दिया गया है जिसके अंतर्गत इसमें 4 इंस्ट्रक्टर को ट्रेनिंग के लिए लगाया गया है। यह चारों इंस्ट्रक्टर फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ बच्चों को एकेडमी ट्रेनिंग ,कैरियर ट्रेनिंग और दूसरी मदद भी कर रहे हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से यह प्रोजेक्ट पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। अगर यह कामयाब होता है तो सरकार इसे दूसरे जिलों में भी शुरू करने का मन बना रही है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में खासतौर पर उन युवाओं पर ध्यान दिया जा रहा है जो कम पढ़े लिखे हैं लेकिन अपनी क्षमताओं से भारतीय सेना का हिस्सा बन सकते है। इसके साथ ही जो बच्चे अधिकारी स्तर के पेपर के पेपर की तैयारी करने चाहते है। उनके लिए भी प्रशासन हर तरह की सुविधा का प्रबंध कर रहा है।

बॉर्डर के बच्चे खास तौर पर लडकिया इस पूरे ट्रेनिंग प्रोग्राम से काफी उत्साहित है । उन्हें महसूस हो रहा है कि ये प्रोग्राम उनकी ज़िंदगी मे बाद बदलाव ला सकता है। बॉर्डर की लड़कियों के मुताबिक उनके परिवार के लोग जो पहले उन्हें घर से बाहर भेजने में परहेज़ करने थे आज उन्हें खुल कर ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। करीब 6 साल पहले जिला प्रशासन ने अपने टूर पर बॉर्डर के बच्चो के लिए इस तरह के एक छोटे प्रोग्राम की शुरुवात की थी जिसमे 150 बच्चे आर्म्ड फोर्सेज में शामिल हुए थे । उसी को देखते हो अब भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट बड़ा स्वरूप दे दिया है जो आने वाले देने में बॉर्डर पर देश की ढाल बनाने वाले लोगो के जीवन के एक बड़ा बदलाव लेकर सामने आएगा ।

First Published on: November 9, 2021 2:40 PM
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