श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मांग की है कि पिछले हफ्ते पारिमपोरा मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकवादियों के शव उनके परिजनों को सौंपे जाएं। नेताओं ने परिजनों के उनके निर्दोष होने के दावों का जिक्र किया, यद्यपि पुलिस ने कहा कि उन्हें कट्टरपंथियों ने भड़काया था और उनमें से दो के संबंध लश्कर-ए-तैयबा से थे।
अब्दुल्ला ने कहा कि मुठभेड़ की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच होनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि इस मुठभेड़ की जांच जल्द पूरी हो। जैसा कि मनोज सिन्हा ने पहले ही वादा किया है, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच से ही अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों को संतुष्टि मिलेगी, जिनका दावा है कि वे निर्दोष थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को शवों को परिजनों को सौंप देना चाहिए।
एक अन्य ट्वीट में कहा, “नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य मसूदी हसनैन ने जब हाल ही में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की थी तो उन्होंने मुठभेड़ की निष्पक्ष व त्वरित जांच का वादा किया था। अंतरिम तौर पर हमें उम्मीद है कि उपराज्यपाल शवों को उनके परिजनों को सौंपने का आदेश देंगे।”
सुर में सुर मिलाते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने वालों के शव नहीं सौंपने की नीति की समीक्षा करनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान उनसे भी मारे गए आतंकियों के शव नहीं लौटाने को कहा गया था।
उन्होंने कहा, मैंने इससे इनकार कर दिया क्योंकि यह मानवता और हमारी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। दावा किया कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि मारे गए लोग क्या आतंकवादी थे। उन्होंने उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, आप बंदूक के बल पर कब तक शांति लागू करवा पाएंगे? आप यहां लोगों का दिल कैसे जीतेंगे?