सैन्यकर्मियों को नकद पुरस्कार देने की कोई प्रणाली नहीं है: सेना


सेना ने कहा कि युद्ध की स्थिति में या फिर ड्यूटी के दौरान किसी भी काम के लिए उसके कर्मियों को नकद पुरस्कार देने की कोई प्रणाली नहीं है।


भाषा भाषा
जम्मू-कश्मीर Updated On :
Soldiers from Indian Army and China's People's Liberation Army (PLA) take part in the Hand-in-Hand joint military exercise in Chengdu, Sichuan province, China December 11, 2018. An Yuan/CNS via REUTERS ATTENTION EDITORS - THIS IMAGE WAS PROVIDED BY A THIRD PARTY. CHINA OUT. - RC13FFAB27F0


श्रीनगर । सेना ने सोमवार को इस बात से इनकार किया कि अम्शीपुरा में फर्जी मुठभेड़ के आरोप का सामना कर रहे सेना के कैप्टन ने ऐसा आतंकवादियों को मारने पर कथित तौर पर मिलने वाले 20 लाख रूपये के ईनाम के लिए किया। सेना ने कहा कि युद्ध की स्थिति में या फिर ड्यूटी के दौरान किसी भी काम के लिए उसके कर्मियों को नकद पुरस्कार देने की कोई प्रणाली नहीं है।

यह संक्षिप्त वक्तव्य श्रीनगर में रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने जारी किया।

वक्तव्य में कहा गया, ‘‘मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आई हैं जिनमें कहा गया है कि अम्शीपुरा मुठभेड़ के पीछे वजह आतंकवादियों को मारने पर कथित रूप से मिलने वाला 20 लाख रूपये का पुरस्कार है। यह स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय सेना में युद्ध की स्थिति में या फिर ड्यूटी पर तैनात रहने के दौरान उसके कर्मियों को नकद पुरस्कार देने की कोई प्रणाली नहीं है।’’

इसमें कहा गया कि उक्त रिपोर्ट ‘‘भारतीय सेना की आंतरिक प्रक्रियाओं से संबंधित तथ्यों पर आधारित नहीं हैं’’। पिछले वर्ष जुलाई माह में तीन युवाओं को आतंकवादी बताते हुए कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया था।

मामले की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस का विशेष जांच दल गठित किया गया था जिसने आरोप-पत्र में कहा कि ‘मुठभेड़ की योजना बनाकर’ आरोपित कैप्टन भूपिंदर सिंह तथा अन्य दो आम नागरिकों तबश नजीर और बिलाल अहमद लोन ने असल अपराध के सबूतों को जानबूझकर नष्ट किया। उन्होंने 20 लाख रूपये की ईनाम राशि पाने के लिए आपराधिक साजिश के तहत जानबूझकर गलत जानकारी दी।

सेना ने मामले की कोर्ट ऑफ इनक्वायरी का आदेश दिया है। पुलिस ने शोपियां के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष 26 दिसंबर 2020 को आरोप-पत्र दाखिल किया था।



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