रांची। इसरो की चंद्रयान-3 और गगनयान जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं की उड़ान के लिए मजबूत ‘जमीन’ (लांचिंग पैड) तैयार करने में जुटे एचईसी के 3400 अफसर-कर्मचारी फाकाकशी के दौर से गुजर रहे हैं। हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के अफसरों को पिछले 13 महीनों और कामगारों को सात-आठ महीने से वेतन नहीं मिला है।
एचईसी के धुर्वा, रांची स्थित हेडक्वार्टर के बाहर एचईसी के दर्जनों इंजीनियर पिछले 40 दिनों से एक ओर जहां जत्थावार तरीके से धरना दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे चंद्रयान-3 और गगनयान की उड़ान के जरूरी तमाम हेवी मशीनों की आपूर्ति का काम वक्त पर पूरा करने में भी जुटे हैं।
एचईसी देश का सबसे पुराना और उत्कृष्ट इंजीनियरिंग संस्थान है और इसकी ख्याति मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में रही है। एचईसी के एक अफसर ने बताया कि अभी हाल में गगनयान परियोजना के लिए दूसरे लांच पैड के बेसिक स्ट्रक्च र की आपूर्ति की गई है। इसके अलावा चार अलग-अलग तरह के क्रेन, फोल्डिंग-कम-वर्टिकली रिपोजिशनेबल प्लेटफॉर्म, स्लाइडिंग डोर, मोबाइल लांचिंग पेडस्टल, वर्टिकल टर्निग और बोरिंग मशीनों सहित कई उपकरण पहुंचाए गए हैं।
इसके अलावा, कई मशीनों की कमीशनिंग अंतिम चरण में है। व्हील बोगी असेंबली और फोल्डिंग प्लेटफॉर्म जैसे उपकरणों का निर्माण पूरा हो गया है और जल्द ही इसरो को इनकी आपूर्ति कर दी जाएगी। एचईसी में बने सैकड़ों टन वजनी इन उपकरणों को इसरो के श्रीहरिकोटा स्टेशन तक पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
रॉकेट हिलें नहीं, इसके लिए 80 मीटर की ऊंचाई पर एचईसी द्वारा निर्मित क्रेन लगाया गया है। इस क्रेन में जबरदस्त हवा के दबाव को झेलने की क्षमता है। यह कोई पहली बार नहीं है, जब इसरो की परियोजनाओं ने एचईसी की मदद से कीर्तिमान कायम किए हैं। अंतरिक्ष में अब तक भेजे गए ज्यादातर सैटेलाइट के लांचिंग पैड, क्रेन और हेवी मशीन का निर्माण एचईसी ने ही किया है।
केवल इसरो ही नहीं, कोल इंडिया, इंडियन रेल, रक्षा मंत्रालय सहित दर्जनों संस्थान भारी मशीनों के लिए एचईसी पर निर्भर रहे हैं, लेकिन गौरवशाली उपलब्धियों वाला यह संस्थान आज बदहाल है। इसे बचाने की गुहार को लेकर अफसर से लेकर कर्मचारी तक आंदोलित हैं। कंपनी के पास इसरो के अलावा रक्षा मंत्रालय, रेलवे, कोल इंडिया और स्टील सेक्टर से 1500 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर है, लेकिन वर्किग कैपिटल की कमी के चलते अस्सी फीसदी काम ठप पड़ गया है।
पिछले पांच वर्षो से प्रोडक्शन में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। कारखाना में मशीनों का उपयोग मात्र 25 प्रतिशत हो पा रहा है। हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट और फाउंड्री फोर्ज प्लांट में कई मशीनों का इस्तेमाल बंद पड़ा है। मशीनों में इस्तेमाल किया जाने वाला स्पेशल ऑयल से लेकर मामूली कल-पुर्जो तक की खरीदारी नहीं हो पा रही है। कोयला सहित रॉ मटेरियल की भी कमी है।
एचईसी ने भारी उद्योग मंत्रालय से एक हजार करोड़ रुपए के वर्किं ग कैपिटल उपलब्ध कराने के लिए कई बार गुहार लगाई है, लेकिन मंत्रालय ने पहले ही साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार कारखाने को किसी तरह की मदद नहीं कर सकती। कंपनी प्रबंधन को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।
इधर, एचईसी को बचाने की गुहार को लेकर बीते शनिवार को गैर-भाजपा राजनीतिक दलों की ओर से रांची में राजभवन तक मार्च किया गया। मार्च में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।