चौतरफा विरोध के बाद शिवराज सरकार ने अर्बन टैक्स वृद्धि से कदम पीछे खींचे

इंदौर। चौतरफा विरोध के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सबसे बड़े शहर इंदौर में नगरीय करों में प्रस्तावित वृद्धि बृहस्पतिवार को टाल दी। कोरोना संकट के चलते पहले ही आर्थिक दुश्वारियां झेल रही जनता पर करों का बोझ बढ़ाने के फैसले से राज्य सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।

प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने यहां संवाददाताओं को बताया, इंदौर में जल कर, संपत्ति कर और अन्य करों में फिलहाल कोई वृद्धि नहीं होगी। प्रदेश सरकार ने कर वृद्धि का फैसला जन हित में स्थगित कर दिया है। नगरीय करों में प्रस्तावित वृद्धि को लेकर विपक्षी कांग्रेस के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने भी खुलकर आपत्ति जताई थी। इससे राज्य सरकार की फजीहत हो रही थी।

नगरीय कर वृद्धि का फैसला स्थगित किए जाने के बाद इंदौर के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी ने नौकरशाही पर इशारों में सवाल उठाते हुए कहा, बेहतर होता कि नगरीय करों में वृद्धि के फैसले से पहले शहर के सभी संबद्ध पक्षों के साथ बैठकर चर्चा कर ली जाती।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने इंदौर में जल कर, संपत्ति कर और कचरा संग्रहण शुल्क की दरों में दोगुनी तक वृद्धि का फैसला किया था। इसके साथ ही, सीवरेज चार्ज के रूप में स्थानीय नागरिकों से नये शुल्क की वसूली भी प्रस्तावित थी। शहर में नवीन कर और शुल्क व्यवस्था नये वित्तीय वर्ष यानी बृहस्पतिवार से ही लागू होनी थी।

गौरतलब है कि प्रदेश में नगर निकायों के चुनाव एक साल से भी ज्यादा समय से टल रहे हैं तथा इनके निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल काफी पहले खत्म हो गया है। अस्थायी व्यवस्था के तहत प्रशासकों के रूप में तैनात सरकारी अफसर इन निकायों का काम-काज संभाल रहे हैं।

First Published on: April 1, 2021 3:14 PM
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