महाकाल मंदिर: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण को रोकने के लिए बड़ा बदलाव! भांग की मात्रा में कटौती

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित बाबा महाकाल का मंदिर, जिनके दर्शन के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं। बाबा महाकाल की भस्म आरती और श्रृंगार काफी मनमोहक होते हैं। लेकिन अब बाबा महाकाल के शिवलिंग में क्षरण की समस्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने बाबा के श्रृंगार को लेकर नियमों में बदलाव किया है।

दरअसल बाबा महाकाल के शिवलिंग के क्षरण की समस्या को समझने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें बताया गया कि, शिवलिंग पर भस्म रगड़ने, स्पर्श करने और पूजा सामग्री के कण चिपके रहने के कारण क्षरण हो रहा है, जिससे छोटे-छोटे बैक्टीरिया पनपते हैं और छिद्र में चिपक जाते हैं।

इसी को देखते हुए महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए कुछ उपाय की सिफारिश की गई है। अभी तक बाबा महाकाल के श्रृंगार में 5 से 7 किलो भांग का इस्तेमाल होता है, इसे अब घटाकर 3 किलो कर दिया गया है। भांग का नाप-जोख करने के लिए मंदिर में तोला-कांटा भी लगाया जाएगा।

अब मंदिर के पुजारी महाकाल के श्रृंगार के लिए 3 किलो से ज्यादा भांग का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। मंदिर समिति भगवान का श्रृंगार करने से पहले भांग का वजन कराएगी। महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने कहा कि, ‘भगवान महाकाल के श्रृंगार में अब अधिक से अधिक तीन किलो भांग का इस्तेमाल किया जाएगा’।

महाकाल मंदिर के पुजारी और समिति सदस्य पंडित राम शर्मा ने कहा कि, तड़के भस्मी रमाए वाले भूत वाहन महाकाल को शाम के वक्त भी भांग का श्रृंगार होता है। निराकार भगवान को अलग-अलग स्वरूपों में आकार देकर भक्तों के लिए दिव्य दर्शन को साकार बनाया जाता है।

भगवान महाकाल को किसी की जन्म तिथि, विवाह वर्षगांठ, विशेष तिथि, वार और त्योहार के अनुसार अलग-अलग भगवान का रूप दिया जाता है। मंदिर के पुजारी बड़ी ही श्रद्धा के साथ भगवान महाकाल को गणेश, श्रीकृष्ण, बालाजी, हनुमान जी, शेषनाग, तिरुपति आदि कई रूप में भव्य श्रृंगार करते हैं।

भगवान महाकाल के श्रृंगार के लिए 1100 रुपये की शासकीय रसीद कटाई जाती है। इस दौरान पुजारी इस बात का ध्यान रखता है कि, जिस श्रद्धालु के नाम से श्रृंगार कराया जा रहा है, उनका नाम बोर्ड पर लिखा हो। महाकाल के श्रृंगार के लिए भांग, सूखे मेवे, वस्त्र, पूजन सामग्री आदि भी शामिल रहती है।

इन सबमें 5 से 6 हजार रुपए का खर्च आता है। श्रृंगार में भांग का उपयोग होता है। श्रृंगार कराने वाले श्रद्धालुओं को शाम की पूजा और आरती के लिए नंदी हॉल में मौजूद रहने की अनुमति दी जाती है। भगवान को श्रृंगार कर नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं जाते हैं।

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली 5 आरतियों में पुजारी भगवान महाकाल का चंदन, कुमकुम,भांग,सूखे मेवे तथा मावे से अलग अलग स्वरूप में श्रृंगार करते हैं। अब कोई भी श्रद्धालु भगवान महाकाल का श्रृंगार करा सकता है। इसके लिए बस आपको मंदिर के कार्यालय से 1100 से की रसीद कटानी होगी।

साल 2017 में सारिका गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए क्षरण को रोकने की मांग की थी। जिसके बाद कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों की एक समिति गठन की थी। विशेषज्ञों ने भगवान महाकाल के शिवलिंग के क्षरण को रोकने के लिए कई तरह के उपाय भी बताए थे।

इन्हीं में से एक सुझाव भांग की मात्रा को सीमित करने का भी है। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन पांच टाइम होने वाली आरती में महाकाल का भव्य और विशेष श्रृंगार भी किया जाता है। सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती और शाम को सात बजे होने वाली संध्या आरती में पुजारी और भक्तों की तरफ से अर्पित की गई भांग से महाकाल का श्रृंगार किया जाता है।

First Published on: September 14, 2025 4:43 PM
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