तिब्बत की आजादी का सवाल पर दुनिया के स्वतंत्रता के पक्षधरों को आगे आना होगा: अजय खरे


भारत की सुरक्षा और तिब्बत की आजादी परस्पर पूरक है। भारत सरकार के द्वारा वर्तमान दौर में तिब्बत प्रश्न को अनदेखा करने के चलते चीन का विस्तार वादी रवैया काफी खतरनाक बन गया है।


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मध्य प्रदेश Updated On :

रीवा। भारत तिब्बत मैत्री संघ, समाजवादी कार्यकर्ता समूह ,नारी चेतना मंच एवं विंध्याचल जन आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में तिब्बती आध्यात्मिक नेता , नोबेल पुरस्कार विजेता परम पावन दलाई लामा के 88 वें जन्मदिन के अवसर पर उनके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन बने रहने के लिए नेहरू नगर स्थित पूनम जनमासा के सभाकक्ष में गुरुवार 6 जुलाई को सायं 4:00 बजे प्रार्थना सभा संपन्न हुई।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शांति सद्भाव के मार्ग पर चलने वाले दलाई लामा आज विश्व शांति के अग्रदूत हैं। बीसवीं सदी में जब दुनिया के अधिकांश देश आजाद हो गए थे तब साम्राज्यवादी चीन के द्वारा आजाद तिब्बत को गुलाम बना लिया जाना बहुत अप्रिय और बर्बरता पूर्ण क़दम था। सन 1959 में तिब्बत से दलाई लामा जी के साथ आए हजारों तिब्बतियों को भारत में राजनीतिक शरण तत्कालीन नेहरू सरकार का साहसिक फैसला था।

लंबे समय से तिब्बत के आजाद ना होने के कारण भारत एवं दुनिया के विभिन्न भागों में बड़ी संख्या में तिब्बती निर्वासित जीवन जी रहे हैं। आज तिब्बतियों की तीसरी पीढ़ी भारत में मौजूद है। तिब्बत की आजादी का सवाल तिब्बतियों के लिए एक सपने की तरह बना हुआ है जो कब पूरा होगा अभी कुछ कहना मुश्किल है। दलाई लामा और हजारों तिब्बतियों का भारत घर बन चुका है। फिर भी तिब्बत की आजादी का सवाल काफी अहमियत रखता है।

भारत तिब्बत मैत्री संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय खरे ने कहा है कि सभी चाहते हैं कि परम पावन दलाई लामा जी के जीवन काल में तिब्बत को आजादी मिल सके। तिब्बत शीघ्र से शीघ्र आजाद हो और उनकी हजारों तिब्बतियों के स्वदेश वापसी सुनिश्चित हो सके। तिब्बतियों के लिए भारत उनका दूसरा घर है लेकिन तिब्बत की आजादी का सवाल पर सभी की चिंता जरूरी और स्वाभाविक है। पूरी दुनिया के स्वतंत्रता के पक्षधरों के लिए तिब्बत की आजादी का प्रश्न एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने है। इस सवाल पर उन्हें आगे आना होगा।

तिब्बत के गुलाम होने के बाद भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन की दखलंदाजी बढ़ती जा रही है जिसके चलते पूरा हिमालय क्षेत्र असुरक्षित और अशांत हो गया है। दुनिया की छत पर निवास करने वाले तिब्बतियों को भी खुली हवा में सांस लेने आजादी की जरूरत है। भारत की सुरक्षा के दृष्टि से भी तिब्बत की आजादी का सवाल काफी महत्वपूर्ण है।

भारत की सुरक्षा और तिब्बत की आजादी परस्पर पूरक है। भारत सरकार के द्वारा वर्तमान दौर में तिब्बत प्रश्न को अनदेखा करने के चलते चीन का विस्तार वादी रवैया काफी खतरनाक बन गया है। चीन कभी भारत का पड़ोसी देश नहीं था लेकिन तिब्बत को हड़पने के बाद वह भारतीय सीमाओं के अंदर घुसपैठ करता जा रहा है।

संपन्न कार्यक्रम में भारत तिब्बत मैत्री संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय खरे , समाजसेवी बृजवासी प्रसाद तिवारी, योगेश वर्मा, इमरान खान , गफूर खान , नारी चेतना मंच की नेत्री सहरुन्निशा आदि की सक्रिय भागीदारी रही।