अनिल देशमुख अपराध से प्राप्त आय के मुख्य लाभार्थी थे : प्रवर्तन निदेशालय

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महाराष्ट्र Updated On :

मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को यहां एक विशेष अवकाश अदालत को बताया कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख अपराध से प्राप्त आय के ‘मुख्य लाभार्थी’ थे और धन शोधन के अपराध में सीधे तौर पर शामिल थे, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

केंद्रीय एजेंसी ने अपने रिमांड नोट में कहा है कि छह नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेजे गए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता इस मामले में महत्वपूर्ण कड़ी बनकर उभरे हैं, जिसमें 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया गया है। ईडी ने यह भी कहा कि इस मामले में विदेशी साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है।

ईडी का आरोप है कि देशमुख ने दिसम्बर 2020 से फरवरी 2021 तक राज्य के गृह मंत्री रहने के दौरान अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक (बाद में अन्य आपराधिक मामले में सेवा से बर्खास्त) सचिन वाजे के जरिये मुंबई में विभिन्न बार और रेस्तरां से 4.70 करोड़ रुपये से अधिक वसूली की।

ईडी ने देशमुख को 12 घंटे की पूछताछ के बाद सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया था। ईडी ने देशमुख को अवकाश के दिन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी बी जाधव के समक्ष पेश किया था, जहां से उन्हें छह नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।

ईडी ने राकांपा के नेता की 14 दिन की हिरासत का अनुरोध करते हुए कहा कि मामले में आगे छानबीन करने और धन के प्रवाह की जांच करने के लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। हालांकि अदालत ने पूर्व मंत्री को छह नवम्बर तक ही हिरासत में भेजा। इस प्रकार देशमुख की दीपावली हिरासत में ही कटेगी।

अदालत ने इस साल अप्रैल में राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले देशमुख को घर का खाना खाने की अनुमति दी और ईडी द्वारा पूछताछ के दौरान उनके वकील को इतनी दूरी पर मौजूद रहने की अनुमति दी, जहां से वह बातचीत सुन सकें।

जांच एजेंसी ने अपने रिमांड नोट में कहा, “अनिल देशमुख इस मामले में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनकर उभरे हैं। इसलिए, मामले में तार्किक निष्कर्ष निकालने के लिए हिरासत में आरोपी से पूछताछ करना जांच के लिए अनिवार्य है। इस स्तर पर विदेशी कोण की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है।”

एजेंसी ने कहा, “उपरोक्त आरोपी (देशमुख) ने धन शोधन के अपराध में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है। इसलिए, धन शोधन का पता लगाने और मामले में शामिल अन्य व्यक्तियों के साथ पुष्टि और आमना-सामना कराने के लिए हिरासत में निरंतर पूछताछ की आवश्यकता है।’’

नोट में आगे कहा गया है कि ईडी ने कुछ बार मालिकों और प्रबंधकों के बयान दर्ज किए हैं, जिन्होंने कहा है कि उनके प्रतिष्ठानों के सुचारू कामकाज के लिए धन एकत्र करने के संबंध में बर्खास्त पुलिसकर्मी वाजे ने उनके साथ एक बैठक भी की थी।

इसमें कहा गया है कि उनके बयानों के अनुसार, दिसंबर 2020 में वाजे को 40 लाख रुपये और जनवरी एवं फरवरी 2021 में 4.30 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। ईडी ने कहा, ‘‘सचिन वाजे ने बार मालिकों / प्रबंधकों को सूचित किया था कि एकत्र किया गया धन ‘नंबर 1’ और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा और समाज सेवा शाखा में जाएगा। इस प्रकार, यह देखा गया है कि सचिन वाजे ने विभिन्न बार मालिकों और प्रबंधकों से 4.70 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की थी।’’

इसमें कहा गया है कि एजेंसी ने मई 2021 में वाजे का बयान दर्ज किया था, जिस दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें विभिन्न पुलिस मामलों में देशमुख से सीधे निर्देश मिलते थे।

एंटीलिया के पास एक वाहन में विस्फोट सामग्री मिलने और मनसुख हिरन हत्या मामले में एनआईए द्वारा मार्च 2021 में गिरफ्तार किया गया वाजे नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है। ईडी ने कहा, “उन्होंने (वाजे ने) स्पष्ट रूप से कहा कि ‘नंबर 1’ महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख थे।”

एजेंसी ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने (वाजे) कहा कि उन्हें अनिल देशमुख ने अपने आधिकारिक आवास बुलाया था और प्रत्येक बार और रेस्तरां से प्रति माह 3 लाख रुपये एकत्रित करने को कहा था। वाजे ने कहा कि उसने दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 तक लगभग 4.70 करोड़ रुपये एकत्र किए थे और उसे अनिल देशमुख के तत्कालीन निजी सहायक कुंदन शिंदे को सौंप दिया था।”

देशमुख के वकील विक्रम चौधरी और वकील अनिकेत निकम ने, हालांकि हिरासत अर्जी का विरोध किया और दलील दी कि ईडी के पास जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। बम्बई उच्च न्यायालय ने केवल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को देशमुख के खिलाफ आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था।

चौधरी ने अदालत को बताया कि किसी ने ईडी को जांच के लिए नहीं कहा। उन्होंने अदालत को बताया कि देशमुख वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनके कंधे में दिक्कतें है और इसलिए उन्हें लगातार मदद की जरूरत है। चौधरी ने कहा, ‘‘वह (देशमुख) इस साल फरवरी में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और हृदय रोग तथा उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।’’

देशमुख को अदालत में पेश किए जाने से पहले जांच एजेंसी उन्हें नियमित चिकित्सा जांच के लिए यहां सरकारी जे जे अस्पताल लेकर गयी।

ईडी द्वारा सोमवार रात देशमुख को धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किए जाने के बाद एजेंसी के अधिकारियों ने दावा किया था कि वरिष्ठ राकांपा नेता पूछताछ के दौरान टाल-मटोल कर रहे थे।

ईडी ने सीबीआई द्वारा 21 अप्रैल को राकांपा नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। सीबीआई ने देशमुख पर भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की थी।

देशमुख ने पूर्व में इन आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि एजेंसी का पूरा मामला एक दागी पुलिस अधिकारी (वाजे) द्वारा दिए गए दुर्भावनापूर्ण बयानों पर आधारित था।

ईडी ने मामले में दो अन्य व्यक्तियों संजीव पलांदे और कुंदन शिंदे को भी गिरफ्तार किया है। अतिरिक्त जिलाधीश रैंक के अधिकारी पलांदे देशमुख के निजी सचिव के तौर पर काम कर रहे थे, जबकि शिंदे देशमुख के निजी सहायक थे।

देशमुख और अन्य के खिलाफ ईडी का मामला मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा कम से कम 100 करोड़ रुपये की वसूली के आरोपों के मद्देनजर सीबीआई द्वारा मामला दर्ज करने के बाद सामने आया था।

विगत मार्च में पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में, सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने सचिन वाजे को महानगर में बार और रेस्तरां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक की उगाही करने के लिए कहा था।

देशमुख ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि सिंह ने मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद उनके खिलाफ आरोप लगाए थे।

पूर्व मंत्री ने मामले में ईडी द्वारा जारी किए गए कई समन को नजरंदाज कर दिया था, लेकिन बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा पिछले हफ्ते उन्हें रद्द करने से इनकार करने के बाद, वह सोमवार को एजेंसी के सामने पेश हुए।

इस बीच एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने देशमुख की गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कहा कि यह सब एमवीए नेताओं की छवि खराब करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख घटक शिवसेना ने ईडी के कदम को ‘अनैतिक’ करार दिया।

केंद्र पर निशाना साधते हुए एमवीए सरकार में मंत्री मलिक ने कहा कि सत्ता का दुरुपयोग करके नेताओं को डराना बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “पूरी कार्रवाई (देशमुख को गिरफ्तार करने की) राजनीति से प्रेरित है। इसका उद्देश्य महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन) के नेताओं को डराना है। कानून अपना काम करेगा। अगर आप लोगों को फंसाएंगे तो सच्चाई किसी दिन सामने आ जाएगी।’’

सिंह फरार हैं और उनके खिलाफ दो अलग-अलग मामलों में दो गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं। अतीत में, एमवीए नेताओं ने सिंह के लापता होने के पीछे केंद्र का हाथ होने का आरोप लगाया है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि देशमुख को सिंह के आरोपों के आधार पर केंद्रीय एजेंसी ने गिरफ्तार किया था और यह ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और अनैतिक’ था। उन्होंने कहा कि आरोपों के आधार पर जांच की जा सकती है, लेकिन ईडी के अधिकारियों द्वारा पूछताछ के पहले दिन देशमुख को गिरफ्तार कर लिया गया।

राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एमवीए सरकार (महाराष्ट्र में) के प्रमुख नेताओं को परेशान करने, बदनाम करने और उन पर कीचड़ उछालने की एक पूर्व नियोजित रणनीति है।’’