मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र ने बड़ा फैसला लिया है। शिंदे सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव मुहर लगा दी है। शिंदे सरकार मराठा समाज को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देगी। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
विशेष सत्र से पहले एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई। इसके कुछ ही देर बाद एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल सत्र में मराठा आरक्षण पर बात की। पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसी असाधारण परिस्थितियां हैं जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की आवश्यकता होती है।
बिल में क्या है जिक्र?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड एक में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ निजी शैक्षणिक संस्थानों, चाहे राज्य द्वारा अनुदान प्राप्त हो या नहीं, में प्रवेश के लिए कुल सीटों का दस प्रतिशत और कुल संख्या का दस प्रतिशत राज्य के नियंत्रण के तहत सार्वजनिक सेवाओं और पदों में सीधी सेवा भर्तियों में ऐसा आरक्षण सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए अलग से आरक्षित किया जाएगा। इस अधिनियम के तहत आरक्षण केवल सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों के लिए उपलब्ध होगा।
संजय राउत का बयान
मराठा आरक्षण के लिए विशेष सत्र से पहले संजय राउत का बड़ा बयान सामने आया था, राउत ने कहा, मराठा आरक्षण के लिए विशेष सत्र से पहले शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, “हम सब चाहते हैं कि एकमत से यह निर्णय हो जाए और आरक्षण पर जो फैसला रुका है वह स्पष्ट हो जाए।”