नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल मंत्री नहीं बनाए जाने से बेहद नाराज हैं। इस बीच पूर्व मंत्री भुजबल ने कहा कि आठ दिन पहले उन्हें राज्यसभा की सीट की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। नासिक जिले के येओला से विधायक भुजबल ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा सीट के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह उनके विधानसभा क्षेत्र के साथ विश्वासघात होता, जिसे उन्होंने पिछले महीने राज्य चुनावों में जीता था।
पूर्व राज्य मंत्री ने कहा, ”जब मैं इस साल की शुरुआत में राज्यसभा में जाना चाहता था, तो मुझे बताया गया कि मुझे विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। मुझे आठ दिन पहले राज्यसभा की सीट की पेशकश की गई थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया। मैंने कहा कि मैं एक या दो साल बाद राज्यसभा के विकल्प पर विचार कर सकता हूं लेकिन तुरंत नहीं।”
भुजबल ने कहा कि राज्य कैबिनेट की सीट से इनकार किए जाने के बाद उन्होंने एनसीपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से बात नहीं की है। जब मराठा कोटा कार्यकर्ता अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे थे, तब मैंने अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के लिए आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा कि लाडकी बहिन योजना और ओबीसी ने महायुति को चुनाव जीतने में मदद की।
नागपुर में विधानसभा सत्र की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित होने के बाद नासिक के लिए रवाना हुए छगन भुजबल ने अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर कहा, ”देखते हैं। जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना।”
पिछली महायुति सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रहे भुजबल ने कहा, ”मैं एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे दरकिनार किया जाता है या पुरस्कृत किया जाता है।”
एनसीपी नेता ने कहा कि मंत्री पद आते-जाते रहते हैं, लेकिन मुझे खत्म नहीं किया जा सकता। मंत्रिमंडल से 10 पूर्व मंत्रियों को बाहर किया गया है और 16 नए चेहरे शामिल किए गए हैं। एनसीपी के पूर्व मंत्री भुजबल और दिलीप वलसे पाटिल, बीजेपी के सुधीर मुनगंटीवार और विजयकुमार गावित कुछ प्रमुख नेता हैं जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इसको लेकर ये नेता नाराजगी जता चुके हैं।