क्रूज़ जहाज मादक पदार्थ मामला: वानखेड़े अदालत पहुंचे, मंत्री का दावा कि अधिकारी ने प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा किया

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महाराष्ट्र Updated On :

मुंबई। स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने क्रूज़ जहाज से मादक पदार्थ बरामदगी मामले में आरोपी आर्यन खान को छोड़ने के लिए एनसीबी की मुंबई क्षेत्रीय इकाई के निदेशक समीर वानखेड़े और कुछ अधिकारियों द्वारा 25 करोड़ रुपये मांगने संबंधी एक गवाह के दावे पर सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं।

इस बीच, एनसीबी और वानखेड़े ने वसूली के आरोपों के खिलाफ सोमवार को मुंबई की एक अदालत का रूख किया जबकि महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने दावा किया कि अधिकारी ने अपने जन्म प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया है।

मलिक ने कथित प्रमाणपत्र की तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘समीर दाऊद वानखेड़े का यहां से शुरू हुआ फर्जीवाड़ा।’’

वहीं, भारतीय राजस्व सेवा के 2008 बैच के अधिकारी वानखेड़े ने मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि उनका यह कदम अपमानजनक और उनके परिवार की निजता पर हमला है। उन्होंने कहा कि मंत्री द्वारा बिना कोई स्पष्टीकरण दिए इस तरह के निजी अपमानजनक और निंदात्मक हमलों से वह दुखी हैं।

वानखेड़े ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में मंत्री ने जो काम किए हैं, उसने मुझे और मेरे परिवार को अत्यधिक मानसिक और भावनात्मक दबाव में ला दिया है।’’

वानखेड़े ने अदालत में दाखिल हलफनामे में उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों से इंकार किया है और दावा किया कि ‘‘उन पर लगातार गिरफ्तारी का खतरा बना हुआ है क्योंकि ईमानदार एवं निष्पक्ष जांच कुछ निर्हित स्वार्थों के अनुकूल नहीं है।’’

वानखेड़े ने यह भी दावा किया कि उन्हें कुछ जाने-माने राजनीतिक हस्तियों ने भी निशाना बनाया है और इसके पीछे उनका केवल एक ही कारण समझ आता है क्योंकि एनसीबी ने ‘‘ इस शख्स के दामाद समीर खान’’ को गिरफ्तार किया था।

समीर खान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के दामाद हैं।

वहीं, एनसीबी ने हलफनामे में अनुरोध किया है कि मामले के सबूतों के साथ छेड़छाड़ और जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

मामले में ‘स्वतंत्र गवाह’ प्रभाकर सैल ने रविवार को दावा किया था कि स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के एक अधिकारी और कथित तौर पर फरार गवाह केपी गोसावी सहित अन्य ने आर्यन खान को छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये की मांग की है।

सैल ने पत्रकारों से कहा था कि आर्यन को तीन अक्टूबर को एनसीबी कार्यालय लाने के बाद उन्होंने गोसावी को फोन पर सैम डिसूजा नामक एक व्यक्ति से 25 करोड़ रुपये की मांग करने और मामला 18 करोड़ रुपये पर तय करने के बारे में बात करते हुए सुना था, क्योंकि उन्हें ‘‘आठ करोड़ रुपये समीर वानखेडे (एनसीबी के जोनल निदेशक) को देने थे।’’

सैल ने दावा किया था कि वह जल्द ही सबूत भी पेश करेंगे। एनसीबी और वानखेड़े ने सोमवार को अदालत को सौंपे गए अपने हलफनामे में इन दावों को खारिज किया है।

वानखेड़े ने हलफनामे में कहा, ‘‘ क्रूज़ मादक पदार्थ मामले की जांच की अगुवाई करने के बाद से, कई जाने-माने राजनेता मुझे निजी तौर पर निशाना बना रह हैं, ऐसा करने का उचित कारण तो उन्हें ही पता होगा।’’

उन्होंने कहा कि उन्हें तो ऐसा करने का केवल एक ही कारण समझ आता है कि एनसीबी ने उस राजनेता के दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया है।

वानखेड़े ने दावा किया कि उनके और उनके परिवार से व्यक्तिगत बदला लिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ उन पर लगातार गिरफ्तारी का खतरा बना हुआ है क्योंकि ईमानदार एवं निष्पक्ष जांच कुछ निर्हित स्वार्थों के अनुकूल नहीं है।’’

वानखेड़े ने कहा कि वह खुद को बेकसूर साबित करने के लिए जांच का सामना करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ इस मामले में समाज के उच्च वर्ग के कुछ प्रभावशाली और सम्पन्न लोग शामिल हैं, जिस कारण मुझे गिरफ्तारी सहित हर प्रकार की धमकी दी जा रही है।’’

वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी के एक दल ने इस महीने की शुरुआत में मुंबई के तट पर एक क्रूज जहाज से कथित तौर पर नशीले पदार्थ जब्त किए थे जिसके बाद बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। मलिक ने क्रूज पर पकड़े गए नशीले पदार्थ के मामले को लगातार ‘‘फर्जी’’ बताया है।

मलिक द्वारा सोमवार को पोस्ट की गयी तस्वीर में एनसीबी अधिकारी के पिता का नाम दाऊद दिखाया गया है। वानखेड़े ने कहा कि उनके पिता का नाम ज्ञानदेव है जो एक आबकारी अधिकारी थे।

मलिक नशीले पदार्थ के एक मामले में अपने दामाद समीर खान की गिरफ्तारी के बाद से ही वानखेड़े पर निशाना साध रहे हैं। मलिक ने दावा किया था कि एनसीबी अधिकारियों ने उनके दामाद पर गलत आरोपों में मुकदमा दर्ज किया और उनके पास से कोई प्रतिबंधित नशीला पदार्थ बरामद नहीं किया गया।

राकांपा प्रवक्ता मलिक ने हाल में दावा किया था कि उनकी सरकार जल्द ही वानखेड़े को जेल पहुंचाएगी।

सोमवार को नांदेड में एक समाचार चैनल से बातचीत में मलिक ने दावा किया कि वानखेड़े जन्म से एक मुसलमान है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 15 दिनों में जब भी मैं मालदीव यात्रा (वानखेड़े की) जैसे विभिन्न विषयों पर बोलता था तो मुझ कोई जवाब नहीं मिलता था और इन्हें राजनीतिक आरोप बताया गया। लेकिन अब सच सामने आ गया है।’’

राकांपा नेता ने कहा कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने कहा था कि उनका दामाद और आर्यन खान मुसलमान हैं। बाद में भाजपा की ‘ट्रोल करने वाली फौज’’ ने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की कि इसे वानखेड़े के जरिए हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बना दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘एनसीबी के मंडल निदेशक वानखेड़े का नाम ‘समीर दाऊद वानखेड़े’ है और वह जन्म से मुसलमान हैं। मैंने उनका जन्म प्रमाणपत्र ऑनलाइन प्रकाशित किया है। मुझे इसे ढूंढने के लिए मशक्कत करनी पड़ी…उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्र पर आईआरएस की नौकरी हासिल की…मैं उनके ‘फर्जीवाड़े’ के ऐसे और कारनामे उजागर करूंगा।’’

मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि अपना धर्म ‘‘छुपाकर’’ वानखेड़े ने फर्जी दस्तावेज हासिल किए और इससे एक पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार का अधिकार छीन लिया।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले रविवार को वानखेड़े के समर्थन में आए और कहा कि अच्छा काम कर रहे एक दलित अधिकारी को निशाना बनाना ठीक नहीं है।

वानखेड़े के खिलाफ मलिक के आरोपों को ‘‘निराधार’’ बताते हुए अठावले ने कहा था कि अधिकारी ने कुछ गलत नहीं किया है। उन्होंने मलिक पर वानखेड़े पर निशाना साधते हुए इस मामले को एक धार्मिक और जातिगत रंग देने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।

इस बीच, मलिक के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए वानखेड़े ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उनकी निजी जानकारी ट्वीटर पर जारी करने का मंत्री का कृत्य ‘‘अपमानजनक और उनके परिवार की निजता पर अनावश्यक हमला’’ है।

वानखेड़े ने कहा कि यह उनकी, उनके परिवार, उनके पिता और दिवंगत मां की छवि बिगाड़ने के मकसद से किया गया। उन्होंने कहा कि उनके पिता ज्ञानदेव काचरुजी वानखेड़े राज्य आबकारी विभाग के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर पद से जून 2007 में सेवानिवृत्त हुए। उनके पिता हिंदू हैं और उनकी दिवंगत मां जहीदा एक मुसलमान थीं।

वानखेड़े ने कहा कि वह ‘‘सच्ची भारतीय परंपरा में एक समग्र बहु-धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष परिवार’’ से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें अपनी विरासत पर गर्व है।

एनसीबी अधिकारी ने यह भी बताया कि उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम के तहत 2006 में डॉ. शबाना कुरैशी से शादी की थी। दोनों ने 2016 में आपसी सहमति से तलाक ले लिया था। बाद में 2017 में उन्होंने क्रांति रेडकर से शादी की थी।

एनसीबी ने हलफनामे में वानखेड़े और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों को ‘‘ पूरी तरह गलत, गुमराह करने वाला, नुकसान पहुंचाने वाला और एनसीबी जैसी स्वतंत्र एजेंसी की छवि खराब करने का प्रयास बताया।’’

उसने कहा, ‘‘ एनसीबी के अधिकारियों के खिलाफ जबरन वसूली और धन के हस्तांतरण के आरोप चल रही जांच को कमजोर करने, दुर्भावनापूर्ण तथा गुप्त मकसद से दबाव बनाने का एक स्पष्ट प्रयास है।’’

एनसीबी ने कहा कि वानखेड़े तथा उसके अन्य अधिकारियों का रिकॉर्ड एकदम साफ है और वे शहर को मादक पदार्थों से मुक्त करने के लिए ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा से काम कर रहे हैं।

एनसीबी के लिए विशेष लोक अभियोजक अद्वैत सेठना ने सोमवार को अदालत में हलफनामा दाखिल किया।

सेठना ने अदालत से कहा कि सैल कुछ सबूतों को सार्वजनिक करने की धमकी दे रहा है, जो मामले की जांच को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उचित आदेश पारित किया जाना चाहिए।

सेठना की दलील सुनने और हलफनामे पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि वह दिन में मामले पर उचित आदेश पारित करेगी।

अधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों की जांच महानगर स्थित मुख्यालय में एनसीबी के उत्तरी क्षेत्र के उप महानिदेशक (डीडीजी) ज्ञानेश्वर सिंह करेंगे। सिंह, संघीय मादक पदार्थ रोधी एजेंसी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) भी हैं।

मामले में ‘स्वतंत्र गवाह’ प्रभाकर सैल ने रविवार को एक हलफनामे में और फिर पत्रकारों के सामने दावा किया था कि एनसीबी के एक अधिकारी और अन्य कुछ लोगों ने मामले में आरोपी आर्यन खान को छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये की मांग की थी।

सैल ने कहा कि वह मामले में अन्य गवाह केपी गोसावी के अंगरक्षक थे, जो एनसीबी द्वारा तीन अक्टूबर को मुंबई के तट पर एक जहाज पर की छापेमारी के बाद से फरार है। मामले में अभी तक आर्यन खान सहित करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सैल ने यह भी दावा किया था कि उसने गोसावी को शाहरुख खान की प्रबंधक से मुलाकात करते हुए भी देखा था और वानखेड़े की मौजूदगी में एनसीबी अधिकारियों ने उनसे नौ से 10 कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करने को भी कहा था।

एजेंसी के मुख्य सतर्कता अधिकारी ज्ञानेश्वर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हमें हलफनामा तथा मुंबई स्थित हमारे डीडीजी (पूर्व-पश्चिम) की रिपोर्ट मिल गई है और एनसीबी के महानिदेशक ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया है। हम एक पेशेवर संगठन हैं और हम अपने कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी आरोप की जांच को तैयार हैं। जांच स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होगी।’’

वानखेड़े के क्रूज़ जहाज मादक पदार्थ मामले की जांच जारी रखने के सवाल पर सिंह ने कहा कि इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी और ‘‘ हम जांच और उससे संबंधित सबूतों के मिलने पर ही कोई फैसला करेंगे।’’

अधिकारियों ने कहा कि एनसीबी, सैल द्वारा किए गए दावों के सभी पहलुओं पर गौर करेगी और वर्ष 2008 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी वानखेड़े तथा मादक पदार्थ मामले में शामिल मुंबई क्षेत्रीय इकाई के अन्य अधिकारियों के बयान भी दर्ज करेगी। जांच दल सैल से भी पूछताछ कर सकता है।

ज्ञानेश्वर सिंह की अगुवाई में तीन सदस्यीय दल ‘‘ साक्ष्यों को दर्ज करने और प्रतिवेदन लेने के लिए’’ मुंबई जा सकता है। जांच की रिपोर्ट एनसीबी के महानिदेशक को सौंपी जाएगी और निष्कर्षों के आधार पर वह आगे की कार्रवाई कर सकते हैं।

वानखेड़े ने मामले में अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों से इंकार किया है। वानखेड़े ने रविवार को मुंबई पुलिस आयुक्त को पत्र लिख, अज्ञात लोगों द्वारा कथित सतर्कता संबंधी मामले में फंसाने के लिये उनके खिलाफ ‘योजनाबद्ध’ कानूनी कार्रवाई किए जाने से संरक्षण की भी मांग की थी।