पुणे। जानेमाने इतिहासकार एवं पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे का सोमवार को पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। यह जानकारी एक चिकित्सक ने दी। बाबासाहेब पुरंदरे के नाम से लोकप्रिय इतिहासकार कुछ समय से बीमार थे। वह 99 वर्ष के थे।
अस्पताल की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि पुरंदरे निमोनिया से पीड़ित थे और उन्हें तीन दिन पहले शहर के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुरंदरे का निधन सोमवार तड़के करीब पांच बजे हुआ। पुरंदरे की अधिकतर कृतियां मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से संबंधित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और कई अन्य नेताओं ने पुरंदरे के निधन पर दुख व्यक्त किया और इतिहास एवं संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की।
सुबह में पुरंदरे के पार्थिव शरीर को यहां पार्वती क्षेत्र स्थित उनके आवास ‘पुरंदरेवाड़ा’ में रखा गया ताकि लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकें। जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने इतिहासकार को अश्रुपूर्ण विदाई दी।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे और पुणे के मेयर मुरलीधर मोहोल ने यहां पुरंदरे को श्रद्धांजलि दी। उनका अंतिम संस्कार बाद में वैकुंठ विद्युत श्मशान में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा घोषित किया गया था।
उपनाम शिवशाहीर के नाम से विख्यात पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर केंद्रित कई पुस्तकें लिखीं। दो भागों में लिखी गई 900 पृष्ठों की उनकी मराठी पुस्तक ‘राजा शिवछत्रपती’ पहली बार 1950 के दशक के अंत में प्रकाशित हुई थी और यह तब ये कई बार प्रकाशित हो चुकी है। पुरंदरे ने 1980 के दशक के मध्य में ‘जाणता राजा’ शीर्षक के साथ शिवाजी महाराज के जीवन पर केंद्रित नाटक लिखा और उसका निर्देशन किया।
29 जुलाई, 1922 को जन्मे पुरंदरे को 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया था। उनके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री है।
यद्यपि पुरंदरे को अपने शोध के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और कार्यों को जनता तक ले जाने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन कुछ मराठा संगठनों ने उनकी आलोचना भी की थी, जिन्होंने उन पर मराठा राजा के बारे में तथ्यों को तोड़ने मरोड़ने का आरोप लगाया था।
सांभाजी ब्रिगेड जैसे कुछ संगठनों ने उन्हें महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार देने के सरकार के फैसले का विरोध किया था।
शिवाजी महाराज के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाने के लिए पुरंदरे की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘शिवसृष्टि’, उनके मार्गदर्शन में यहां अंबेगांव क्षेत्र में आकार ले रही थी। परियोजना का पहला चरण हाल ही में पूरा हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं अपने दु:ख को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन ने इतिहास एवं संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा खालीपन पैदा कर दिया है। पुरंदरे के कारण भावी पीढ़ी छत्रपति शिवाजी महाराज से और अधिक जुड़ाव महसूस करेगी। उनके अन्य कार्य भी सदैव याद रखे जाएंगे।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पुरंदरे को भारतीय इतिहास का गहरा ज्ञान था।
उन्होंने एक समारोह के अपने संबोधन का वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में मुझे उनसे अत्यंत निकटता से बात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। कुछ महीने पहले, उनके शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित किया था।’’
मोदी ने कहा कि अपने व्यापक कार्यों के कारण पुरंदरे हमेशा जीवित रहेंगे। उन्होंने पुरंदरे के परिवार और उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना जतायी।
बाद में, मोदी ने भोपाल में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘पुरंदरे के आदर्श हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे”, छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को आम आदमी तक ले जाने में उनका योगदान अमूल्य है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पुरंदरे के निधन के साथ ‘‘हमने एक शतायु शिव ऋषि खो दिया है।’’ उन्होंने कहा कि पुरंदरे में बचपन से ही संघ शाखा से राष्ट्रवाद की जड़ें जम गई थीं। भागवत ने कहा कि उन्होंने (पुरंदरे) अपना पूरा जीवन छत्रपति शिवाजी महाराज की भक्ति में समर्पित कर दिया और अपने लेखन के माध्यम से मराठा राजा की कहानी को हर घर तक पहुंचा।
यह उल्लेख करते हुए कि पुरंदरे ने दादरा नगर हवेली मुक्ति संग्राम में एक सैनिक के रूप में लड़ाई लड़ी थी, उन्होंने कहा कि इतिहासकार का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए समाज को प्रेरित करेगा।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पुरंदरे के निधन ने संस्कृति के क्षेत्र में एक शून्य छोड़ दिया है और उन्हें हमेशा उनके काम के लिए याद किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘उन्होंने (पुरंदरे) छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली जीवन को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है। अपने नाटक ‘जाणता राजा’ के जरिये उन्होंने युवा पीढ़ी के दिलों में जगह बनायी जो धर्म के रक्षक छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता की कहानियां हैं।’’
शाह ने कहा कि उन्हें कुछ साल पहले पुरंदरे से मिलने का मौका मिला और उनके साथ लंबी चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी ऊर्जा और विचार वास्तव में प्रेरक थे। उनका निधन एक युग का अंत है। उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना।’’
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि पुरंदरे ने समकालीन छात्रों एवं युवाओं को शिवाजी महाराज एवं उनके कार्यों के बारे में बताया और इसके कारण लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी कई ऐसे लोगों में शामिल हूं, जो अपनी युवावस्था में पुरंदरे से प्रेरित हुए और हमें छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व का ज्ञान हुआ। मैं उन्हें (पुरंदरे को) कभी नहीं भूलूंगा।’’
गडकरी ने इतिहास के क्षेत्र में पुरंदरे के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि भावी पीढ़ियां उन्हें कभी नहीं भूलेंगी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि पुरंदरे छत्रपति शिवाजी के सच्चे अनुयायी थे। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘शिवाजी का सच्चा अनुयायी आपको उनके जैसा नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने शिवशाहीर पद्म विभूषण और महाराष्ट्र भूषण बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।’’
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पुरंदरे के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन के साथ महाराष्ट्र ने साहित्य एवं कला के क्षेत्र में अपनी चमक खो दी। मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देता हूं।’’