ममता बनर्जी कांग्रेस के बिना गठबंधन पर विचार कर रही हैं: संजय राउत


शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस के बिना गठबंधन पर विचार कर रही हैं।


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महाराष्ट्र Updated On :

मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस के बिना गठबंधन पर विचार कर रही हैं।

राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में यह भी दावा किया कि बनर्जी ने कहा है कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) महाराष्ट्र में सियासी आजमाइश नहीं करेगी।

उल्लेखनीय है कि टीएमसी नेतृत्व ने शनिवार को कहा था कि वह एक वैकल्पिक मोर्चा बनाना जारी रखेगी क्योंकि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ “लड़ाई का नेतृत्व करने में विफल” रही है। बनर्जी ने अपनी हालिया मुंबई यात्रा के दौरान कहा था कि “अब कोई संप्रग (यूपीए) नहीं है।”

शुक्रवार को टीएमसी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में कांग्रेस पर नये सिरे से हमला करते हुए कहा गया था कि वह ‘डीप फ्रीजर’ में चली गई है। हाल में ‘जागो बांग्ला’ में यह भी दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं बल्कि ममता बनर्जी विपक्ष के चेहरे के रूप में उभरी हैं।

महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करने वाली शिवसेना के सांसद ने रविवार को दावा किया कि “ऐसा लगता है कि बनर्जी कांग्रेस को बाहर रखकर कुछ नया करने पर विचार कर रही हैं।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ दिन पहले यहां शिवसेना नेता एवं राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे से मुलाकात के दौरान बनर्जी ने कहा था कि “हम यहां नहीं आएंगे क्योंकि शिवसेना और राकांपा मजबूत हैं।”

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि टीएमसी पड़ोसी राज्य गोवा में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है और त्रिपुरा और मेघालय के उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी अपने पैर पसार रही है।

उन्होंने कहा कि अपनी मुंबई यात्रा के दौरान बनर्जी ने आदित्य ठाकरे के साथ दोनों राज्यों के बीच पर्यटन और संस्कृति के आदान-प्रदान पर चर्चा की थी। उन्होंने ठाकरे को आगामी कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए भी आमंत्रित किया।

सामना ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखना और इसके बिना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के समानांतर विपक्षी गठबंधन बनाना सत्तारूढ़ भाजपा और “फासीवादी” ताकतों को मजबूत करने के समान है।