
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह शिक्षा और नौकरियों में मराठा आरक्षण प्रदान करने के महाराष्ट्र के 2018 के कानून से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई की तारीख पर पांच फरवरी को फैसला करेगा। राज्य सरकार ने अनुरोध किया था कि न्यायालय कक्षों में प्रत्यक्ष सुनवाई की व्यवस्था बहाल होने पर इस तरह के मामले को सुना जाए जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला किया।
उच्चतम न्यायालय कोरोना महामारी के कारण पिछले साल मार्च से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामलों की सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को महाराष्ट्र की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि राज्य ने सुनवाई स्थगित करने और मार्च में इस पर सुनवाई का अनुरोध किया है।
रोहतगी ने पीठ से कहा, आज के समय में प्रत्यक्ष सुनवाई खतरनाक है। पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि राज्य के विरूद्ध अंतरिम आदेश लागू है और ‘उपयुक्त होगा कि न्यायालय कक्षों में प्रत्यक्ष तरीके से सुनवाई बहाल होने पर इस तरह के मामलों की सुनवाई की जाए।’
पीठ ने कहा, हम दो हफ्ते बाद फैसला करेंगे कि क्या किया जा सकता है। साथ ही कहा, दो हफ्ते बाद हम निर्देशों के लिए तारीख तय करेंगे। तब हम सुनवाई की तारीख का भी फैसला करेंगे।’’ पीठ ने मामले को पांच फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि वह सुनवाई की तारीखों पर फैसला करेगी।
पिछले साल नौ दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि महाराष्ट्र के 2018 के कानून से जुड़े मुद्दे पर ‘त्वरित सुनवाई’ करनी होगी। महाराष्ट्र में नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) कानून, 2018 को लागू किया गया था।