धनशोधन का मामला: अदालत ने अनिल देशमुख को न्यायिक हिरासत में भेजा

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महाराष्ट्र Updated On :

मुंबई। करोड़ों रुपये के धनशोधन मामले में गिरफ्तार महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को यहां की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने सोमवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें और हिरासत में देने का अनुरोध किया था।

ईडी ने मामले में पूछताछ के बाद एक नवंबर को देशमुख को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था।

मामले में आज ईडी हिरासत की अवधि समाप्त होने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता को विशेष न्यायाधीश एच एस साथभाई के समक्ष पेश किया गया।

विशेष अदालत ने देशमुख को न्यायिक हिरासत में भेज दिया क्योंकि जांच एजेंसी ने उनका और रिमांड नहीं मांगा।

देशमुख (71) को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद, उनकी कानूनी टीम ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर आग्रह किया कि राकांपा नेता की उम्र और चिकित्सा संबंधी चीजों को देखते हुए उन्हें घर के भोजन और दवाओं की अनुमति दी जाए।

राकांपा नेता के वकीलों ने यह कहकर पूर्व मंत्री को बिस्तर उपलब्ध कराए जाने का भी आग्रह किया कि देशमुख की पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द है और वह फर्श पर नहीं सो पाएंगे।

अदालत ने जेल अधिकारियों को राकांपा नेता को बिस्तर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इसने यह भी कहा कि वह डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं ले सकते हैं।

हालांकि, अदालत ने घर के खाने संबंधी उनके आग्रह को लंबित रखा और कहा कि यदि भोजन के बारे में कोई शिकायत है तो कुछ दिन बाद वह अदालत से संपर्क कर सकते हैं।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा इस साल 21 अप्रैल को राकांपा नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच शुरू की थी।

देशमुख और अन्य के खिलाफ कथित धनशोधन का मामला तब सामने आया था जब सीबीआई ने राकांपा नेता के खिलाफ मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा कम से कम 100 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोप लगाए जाने पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था।

ईडी द्वारा दर्ज किए गए मामले में कहा गया है कि देशमुख ने गृह मंत्री के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के माध्यम से मुंबई के विभिन्न बार और रेस्तराओं से 4.70 करोड़ रुपये एकत्र किए।

देशमुख ने इन आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि एजेंसी का पूरा मामला एक दागी पुलिसकर्मी (वाजे) द्वारा दिए गए दुर्भावनापूर्ण बयानों पर आधारित है।

ईडी ने इससे पहले उनके दो सहयोगियों- संजीव पलांडे (अतिरिक्त कलेक्टर रैंक के अधिकारी जो देशमुख के निजी सचिव के रूप में काम कर रहे थे) और कुंदन शिंदे (देशमुख के निजी सहायक) को भी मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था जो फिलहाल जेल में हैं।

एजेंसी ने दोनों के खिलाफ विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत (एक आरोपपत्र के बराबर) प्रस्तुत की थी।