मुंबई। केंद्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के इलाज के लिए फंगस रोधी दवाएं राज्यों को जरूरत के आधार पर आवंटित की गई और महाराष्ट्र सहित किसी भी राज्य से भेदभाव नहीं किया गया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार नियमित रूप से महाराष्ट्र को फंगस रोधी दवाओं की आपूर्ति कर रही है।
उन्होंने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंफोटेरिसिन बी की आपूर्ति कम है, लेकिन केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों द्वारा की जा रही मांगों को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
सिंह ने कहा, ‘‘देश में दवा की उपलब्धता और राज्यों की मांग के अनुरूप हम आवंटन कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा हम दवा की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कार्यबल का गठन किया गया है, उच्चतम न्यायालय भी निगरानी कर रहा है।
अमेरिका की कंपनी से एंफोटेरिसिन बी के नवीनतम एवं प्रभावी दवा के आयात के लिए हमने छह दवा कंपनियों को लाइसेंस दिया है। सिंह उच्च न्यायालय के पहले के सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या केंद्र द्वारा महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों को म्यूकरमाइकोसिस रोधी दवा का आवंटन ‘‘समान वितरण’’ व्यवस्था पर आधारित है अथवा नहीं।
अदालत कोविड-19 से जुड़े संसाधनों के प्रबंधन और महामारी की तीसरी लहर से निपटने की महाराष्ट्र सरकार की तैयारियों को लेकर कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
एएसजी ने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र को रोजाना एंफोटेरिसिन बी की 15 हजार शीशियां दे रही है, वहीं महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि राज्य को वर्तमान में रोजाना 17,500 से अधिक शीशियों की जरूरत है।