महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण को लेकर उठ रहे विवाद को लेकर सफाई पेश की गई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 8 सितंबर को साफ तौर पर कहा कि मराठा समुदाय के पात्र लोगों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया केवल सरल की गई है और इसमें किसी नए आरक्षण फैसले का सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कि इस शासनादेश (जीआर) से OBC वर्ग को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। यह बयान ओबीसी नेताओं की नाराजगी और विवाद के बीच आया है।
राज्य मंत्री छगन भुजबल ने जीआर पर आपत्ति जताते हुए ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई थी। उनका तर्क था कि यह कदम ओबीसी समुदाय के अधिकारों पर असर डाल सकता है। इस पर शिंदे ने साफ किया कि भुजबल को पहले ही आश्वस्त किया गया है कि शासनादेश ओबीसी के हितों और उनके आरक्षण कोटे को प्रभावित नहीं करेगा। सरकार ने केवल प्रमाण पत्र वितरण की प्रक्रिया को सरल किया है।
हैदराबाद गजेटियर के प्रावधानों के तहत मराठा समुदाय के योग्य सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है। इसी मुद्दे पर राज्य मंत्रिमंडल की उप-समिति के प्रमुख विखे पाटिल ने मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे से बातचीत की थी। इसके बाद जरांगे ने मुंबई में 5 दिन चले उपवास आंदोलन को 2 सितंबर को समाप्त किया था। शिंदे ने बताया कि 2012 से ही कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने का प्रावधान मौजूद है, सरकार ने सिर्फ इसे लागू करने की प्रक्रिया को सरल बनाया है।
छत्रपति संभाजीनगर दौरे के दौरान शिंदे ने शिवसेना कार्यकर्ताओं और विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के अधिकारों में कोई कटौती नहीं होगी। उन्होंने दोहराया, ‘‘हमने कोई नया फैसला नहीं लिया है, केवल प्रक्रिया आसान की गई है। जिन मराठा परिवारों के पास ऐतिहासिक अभिलेख हैं, उन्हें ही कुनबी प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।’’ शिंदे के इस बयान के बाद मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच बढ़ी बेचैनी को शांत करने की कोशिश नजर आई है।