रायपुर। छत्तीसगढ़ में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए मृदा परीक्षण किट विकसित किया है जिसकी सहायता से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच स्वयं कर सकेंगे।
रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिकों के एक दल ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए कम लागत वाला चलित (मोबाइल) मृदा परीक्षण किट विकसित किया है जिसकी सहायता से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच कर सकेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि इस किट को पिछले सप्ताह भारत सरकार से पेटेंट प्रमाणपत्र मिला था जिसके बाद विश्वविद्यालय ने व्यावसायिक उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की है। ताकि बाजार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी संजय नैय्यर ने बताया कि सरकार खेत की मिट्टी का परीक्षण करने के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर रही है, लेकिन इसके लिए किसानों को मिट्टी के नमूने को जिला मुख्यालय में बने कृषि विभाग के प्रयोगशालाओं में लाना होता है। इस प्रक्रिया में चार से पांच दिन लगते हैं।
नैय्यर ने बताया कि अब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस किट के माध्यम से किसान अपने खेत में ही मिट्टी का परीक्षण स्वयं कर सकेंगे। यह तकनीक विश्वविद्यालय के साथ-साथ राज्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति एसके पाटिल के नेतृत्व में मृदा वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस मृदा परीक्षण किट को विकसित करने के बाद वर्ष 2016 में इसके पेटेंट के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के माध्यम से आवेदन किया था। जिसे पिछले सप्ताह केंद्र ने मंजूरी दे दी।
अधिकारी ने बताया कि इस किट की मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध नत्रजन (नाइट्रोजन), स्फुर (सल्फर) और पोटाश जैसे पौधों के लिए आवश्यक प्राथमिक पोषक तत्वों के साथ ही जैविक कार्बन तथा मिट्टी की अम्लीयता अथवा क्षारीयता की जांच कर सकेंगे। वहीं, कृषि और बागवानी फसलों के लिए आवश्यक खाद तथा उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण भी कर सकेंगे।
नैय्यर ने बताया कि इस किट की कीमत 4000 से 4500 रुपए होगी, इसमें रासायनिक पदार्थ, पाउडर के साथ-साथ परीक्षण उपकरण भी होंगे। किसानों को इसके उपयोग के बारे में बताने के लिए एक मार्गदर्शिका और ऑडियो-विजुअल सीडी भी दी जाएगी।
मिट्टी के नमूनों में अलग-अलग प्रकार के रसायनों का उपयोग कर विकसित होने वाले रंगों की गहराई के आधार पर मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। मिट्टी परीक्षण परिणाम तथा उर्वरक अनुशंसाओं के आधार पर प्रमुख फसलों के लिए उर्वरकों की आवश्यक मात्रा की गणना करने का तरीका पुस्तिका में दिया गया है।
मिट्टी की जांच के आधार पर किसान विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश तथा चूने की आवश्यक मात्रा का निर्धारण कर सकेंगे। इससे समय और पैसा बचेगा तथा पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी।
अधिकारी ने बताया कि एक किट में कम से कम 25 नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। वहीं बाद में किसानों को केवल रासायनिक पदार्थ ही खरीदना होगा जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपये होगी। इस किट के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक कंपनी के साथ करार किया गया है। जल्द ही इसका उत्पादन शुरू होगा तथा बाजार में यह किट उपलब्ध हो सकेगा।