ओडिशा: छबिरानी सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश कृष्ण चंद्र कार का निधन


तीन अक्टूबर 1980 को जब दंपति अपने नवजात शिशु के साथ गांव से जा रहा था तभी आरोपियों ने उन्हें रास्ते में रोक लिया। इस दौरान छबिरानी ने अपने पति से बेटे का ख्याल रखने को कहा और खुद आरोपियों से भिड़ गईं। इस दौरान आरोपियों ने उन्हें काबू में करके बिलुआखाई नदी तट पर पहले उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया और फिर हत्या कर दी।


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केंद्रपाड़ा (ओडिशा)। वर्ष 1980 के चर्चित छबिरानी सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में निष्पक्ष फैसला सुनाने वाले प्रख्यात सेवानिवृत्त न्यायाधीश कृष्ण चंद्र कार का आयु संबंधी बीमारियों के चलते ओडिशा के केन्द्रपाड़ा जिले में स्थित उनके आवास पर निधन हो गया।

पारिवारिक सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। कार 90 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन बेटे हैं।

कार कटक, पुरी और बोलानगीर में जिला न्यायाधीश के अलावा कानून सचिव भी रहे। सेवानिवृत्ति के बाद वह केंद्रपाड़ा में वकालत करते थे।

वह राजनीतिक दबाव के बावजूद छबिरानी सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के लिये जाने जाते थे।

छबिरानी और उनके पति नवकिशोर जगतसिंहपुर जिले के बिरिडी गांव में ओडिया भाषा के दैनिक समाचार पत्र में काम करते थे। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार के बारे में लिखा था।

अपने लेखों के लिये वे उस समय सत्तारूढ़ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए थे और उन्हें गांव छोड़कर जाने के लिये मजबूर किया गया। तीन अक्टूबर 1980 को जब दंपति अपने नवजात शिशु के साथ गांव से जा रहा था तभी आरोपियों ने उन्हें रास्ते में रोक लिया। इस दौरान छबिरानी ने अपने पति से बेटे का ख्याल रखने को कहा और खुद आरोपियों से भिड़ गईं। इस दौरान आरोपियों ने उन्हें काबू में करके बिलुआखाई नदी तट पर पहले उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया और फिर हत्या कर दी।

कार ने आठों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, लेकिन ओडिशा उच्च न्यायालय ने उन सभी को बरी कर दिया। घटना के 22 साल बाद उच्चतम न्यायालय ने आठ में से चार आरोपियों को दोषी करार दिया।

पिछले साल इस सनसनीखेज मामले पर ओडिया में एक फिल्म भी आई थी।