चंडीगढ़। पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की राज्य इकाई में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा किए जाने की मांग लगातार बढ़ रही है और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अनुसूचित जाति समुदाय से संबंध रखने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपना समर्थन दे रहे हैं।
कांग्रेस आला कमान का अभी तक यही कहना है कि पार्टी 117 सदस्यीय विधानसभा के लिए 20 फरवरी को होने वाला चुनाव ‘‘सामूहिक नेतत्व’’ में लड़ेगी, लेकिन इसकी राज्य इकाई के कई नेताओं की मांग है कि इस मामले पर स्थिति को शीघ्र अति शीघ्र स्पष्ट किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नेता एवं मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने कहा कि पार्टी ने 2012 और 2017 के चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद के अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी और चन्नी ने तीन महीनों में अपनी योग्यता साबित की है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई एक व्यक्ति स्वयं को हरेक की उम्मीदों से पहले ही बेहतर साबित कर चुका है, तो ऐसे में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा को लेकर पार्टी में कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए।’’
पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद चन्नी पिछले साल मुख्यमंत्री बने थे।
कांग्रेस की पंजाब इकाई में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की मांग ऐसे में जोर पकड़ रही है, जब चुनाव में मजबूत दावेदार के रूप में उभर रही आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने सांसद और प्रदेश इकाई के प्रमुख भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
राज्य में कांग्रेस के मुख्य प्रतिद्वंद्वी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भले ही मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा अभी तक नहीं की है, लेकिन पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इसके संभावित उम्मीदवार हैं।
मोहिंद्रा ने भी कहा कि ‘आप’ ने भगवंत मान को अपना उम्मीदवार नामित किया है, जबकि शिअद सुखबीर बादल को इस पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रही है, ऐसे में कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री पद के अपने उम्मीदवार की घोषणा करना और महत्वपूर्ण हो गया है।
कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह ने भी चन्नी का समर्थन करते हुए कहा कि पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में उनके बने रहने पर सवालिया निशान लगाना स्वयं को नुकसान पहुंचाने के समान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘चन्नी ने मात्र तीन महीनों में शानदार काम किया है।’’
कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और शाहकोट से विधायक हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया ने भी चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का समर्थन किया है।
बहरहाल, इस संबंध में प्रश्न पूछे जाने पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस सप्ताह चंडीगढ़ में कहा था, ‘‘ सिद्धू जी कांग्रेस की पंजाब इकाई के ‘सरदार’ हैं, चन्नी जी सरकार के सरदार (प्रमुख) हैं और हम सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे।’’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सहयोगी निखिल अलवा ने ट्विटर के जरिए एक सर्वेक्षण किया, जिसमें सवाल किया गया था कि ‘पंजाब में कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होना चाहिए?’ इस सर्वेक्षण में शामिल कुल 1,283 लोगों में से 68.7 प्रतिशत ने चन्नी के समर्थन में मत दिया। इस सर्वेक्षण में 11.5 प्रतिशत ने सिद्धू और 9.3 प्रतिशत ने सुनील जाखड़ के समर्थन में मतदान किया, जबकि 10.4 प्रतिशत ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की पूर्व में घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है।
कांग्रेस ने 17 जनवरी को एक छोटा वीडियो साझा किया था, जिसमें अभिनेता सोनू सूद यह कहते नजर आए थे कि स्वयं को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने वाले व्यक्ति के बजाय वह व्यक्ति ‘‘असली मुख्यमंत्री’’ होगा, जो इस पद के लायक होगा।
कांग्रेस की पंजाब इकाई ने 36 सेकंड के इस वीडियो को ट्वीट किया था, जिसके अंत में विभिन्न कार्यक्रमों में चन्नी की फुटेज दिखाई गई है।
सूद की बहन मालविका सूद सच्चर हाल में कांग्रेस में शामिल हुई हैं।
चन्नी ने भी हाल में कहा था कि कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद के अपने उम्मीदवार की घोषणा कर देनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि अतीत में भी साबित हुआ है कि ऐसा करने से पार्टी को चुनावी लाभ मिला था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों के मुद्दे पर राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर आई पंजाब की कांग्रेस इकाई ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है जिसमें दावा किया गया है कि पूरा राज्य चन्नी के साथ है। यहां सत्तारूढ़ पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार अनुसूचित जाति से आने वाले पंजाब के पहले मुख्यमंत्री को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
उल्लेखनीय है कि ईडी ने बुधवार को बताया था कि पंजाब में गैर कानूनी रेत खनन के मामले में धनशोधन की जांच के तहत की गई छापेमारी की कार्रवाई में 10 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई है जिनमें से आठ करोड़ रुपये चन्नी के रिश्तेदार से मिले हैं।