चंडीगढ़। कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में कुछ मुद्दे उठा कर उस ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया है और उन पर राज्य सरकार के अवश्य कार्य करने की जरूरत बताई है। साथ ही, उन्होंने कहा कि यह चुनावी राज्य के पुनरूत्थान और उद्धार के लिए अंतिम मौका है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली में एक बैठक करने के कुछ दिनों बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को 15 अक्टूबर को लिखे पत्र में सिद्धू ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र का हिस्सा बनाने के वास्ते 13 सूत्री एक एजेंडा के साथ पंजाब मॉडल की हिमायत की है।
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद सिद्धू ने 15 अक्टूबर को कहा था कि उनकी चिंताओं का समाधान हो गया है और पार्टी ने कहा है कि वह प्रदेश इकाई प्रमुख बने रहेंगे। सिद्धू के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद यह समाधान निकला था।
सोनिया को लिखे पत्र में उन्हें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री को दिये पार्टी के 18 सूत्री एजेंडे की याद दिलायी गयी है और इन्हें आज भी समान रूप से प्रासंगिक बताया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, मैं आपको 2017 के 18 सूत्री चुनाव प्रचार एजेंडा के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और चुनाव घोषणा पत्र में किये गये वादों को पूरा किये जाने के लिए पत्र लिख रहा हूं।’’ इसके बाद सिद्धू ने कहा कि पंजाब के लोग पूर्ववर्ती भाजपा-शिअद सरकार के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद कोटकपुरा और फरीदकोट के बेहबल कलां में 2015 के पुलिस गोलीकांड की घटनाओं को लेकर न्याय की मांग कर रहे हैं।
मादक पदार्थ के मुद्दे पर कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख ने कहा, ‘‘विशेष कार्य बल की रिपोर्ट में जिक्र किये गये बड़े तस्करों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए और उन्हें अनुकरणीय सजा दी जाए।’’
उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि पंजाब सरकार को केंद्र के तीन नये कृषि कानून को अवश्य ही खारिज कर देना चाहिए और यह घोषणा करनी चाहिए कि वे किसी भी कीमत पर पंजाब में लागू नहीं किये जाएंगे।
सिद्धू ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार को बिजली खरीद समझौतों और ‘‘हमारे द्वारा वादा किये गये सभी त्रुटिपूर्ण पीपीए को रद्द करने पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। ’’
उन्होंने प्रदेश मंत्रिपरिषद में दलित और पिछड़ा वर्ग के लिए और अधिक प्रतिनिधित्व की भी हिमायत की।
उन्होंने लिखा है, ‘‘वंचित तबके को सरकार में और अधिक मुखर आवाज देने के लिए एक दलित मुख्यमंत्री नियुक्त करने के पार्टी आलाकमान के प्रगतिशील फैसले के बाद राज्य में इसका समुचित समर्थन नहीं किया गया।’’
उन्होंने पत्र में कहा है, ‘‘हमारे पास कैबिनेट में कम से कम एक माजभी सिख, पिछड़ी जाति के कम से दो प्रतिनिधि होने चाहिए।’’ सिद्धू ने दावा किया कि नुकसान में कमी लाने की यह अंतिम कवायद हो सकती है अन्यथा बादल परिवार के संरक्षण में माफिया राज राज्य को वित्तीय आपात स्थिति, भ्रष्टाचार और कृषि संकट में ले जाएगा, जहां से वापस नहीं आया जा सकता।