बादल के ताबूत की एक झलक पाने के लिए कतार में खड़े रहे हजारों लोग, अंत्येष्टि गुरुवार को


भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद देश के दूसरे सबसे उम्रदराज राजनेता प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को 95 साल की उम्र में सांस लेने में तकलीफ के बाद यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।


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पंजाब Updated On :

चंडीगढ़। पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल की अंतिम यात्रा बुधवार को शुरू हुई। ताबूत में रखे उनके पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ से मुक्तसर जिले स्थित उनके पैतृक गांव बादल ले जाया गया। उनके ताबूत की एक झलक पाने के लिए हजारों लोग कतार में खड़े रहे। पैतृक गांव में गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। ताबूत को ले जाने वाली फूलों से सजी एंबुलेंस को वरिष्ठ बादल के बेटे सुखबीर बादल चला रहे थे। सह-चालक के रूप में बिक्रम मजीठिया उनके साथ थे। सुखबीर के चचेरे भाई मनप्रीत बादल, जो अब भाजपा में हैं, सहित परिवार के अन्य सदस्य ताबूत के पास बैठे थे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद देश के दूसरे सबसे उम्रदराज राजनेता प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को 95 साल की उम्र में सांस लेने में तकलीफ के बाद यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।

चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) मुख्यालय में ‘कीर्तन और अरदास’ के बाद ‘पंथ ते पंजाब दा राखा, स प्रकाश सिंह बादल अमर रहें’- नारे के बीच बादल के पार्थिव शरीर को विशेष रूप से सजी एंबुलेंस में रखा गया था।

पार्थिव शरीर को बादल गांव में अंत्येष्टि के लिए ले जाते समय एंबुलेंस के पीछे अकाली कार्यकर्ता और बादल परिवार के प्रति सहानुभूति रखने वालों की भीड़ कतारबद्ध होकर चलती रही।

पूरे 250 किलोमीटर के मार्ग के साथ लेबी और पहुंच मार्ग अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए थे। शोक जताने वाले लोग अपने नेता को अंतिम सम्मान देने के लिए निर्धारित मार्ग में पहले से प्रतीक्षा कर रहे थे और काफिले पर फूल फेंकते देखे गए।

अकाली पितामह के नश्वर शरीर की अंतिम झलक पाने के लिए उमड़े सैकड़ों लोग बोल रहे थे – “कडे कडे रब्ब पैदा करदा, बादल जिहे इंसान (कभी-कभी भगवान बादल जैसा इंसान बनाता है)।”

पटियाला शहर में भारी सुरक्षा वाली एंबुलेंस के काफिले को कुछ देर के लिए रोके जाने पर शोक जताने वाले एक व्यक्ति ने कहा, “बादल साब अब अपनी अंतिम यात्रा पर हैं, यह एक दुखद और मार्मिक क्षण है।”

शोक जताने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “बड़े बादल साब राजनेता नहीं, बल्कि एक राष्ट्रकर्मी थे, जिन्होंने किसान और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी।”

उनके पैतृक गांव के रास्ते में पड़ने वाले प्रत्येक कस्बे और गांव से होकर काफिला गुजरा, जिसका सम्मान के साथ स्वागत किया गया। ज्यादातर लोग मौन खड़े रहे, कुछ ने काफिले पर गुलाब की पंखुड़ी फेंकी, जबकि अन्य लोग अपने फोन के कैमरे से तस्वीर खींचते और वीडियो बनाते दिखे।

इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवंगत नेता को अंतिम सम्मान देने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे।

मोदी ने मंगलवार को बादल के निधन को ‘व्यक्तिगत क्षति’ बताया था और कहा था कि वह भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे, जिन्होंने देश के लिए काफी योगदान दिया।

बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को मुक्तसर में हुआ था। वह 20 साल की उम्र में 1957 में पहली बार विधायक के रूप में गांव के सरपंच चुने गए और 1970 में 43 साल की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वह पांच बार मुख्यमंत्री चुने गए।

उनकी अंत्येष्टि गुरुवार को दोपहर 1 बजे होगी, जिसमें बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की उम्मीद है।

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बादल के निधन के बाद बुधवार और गुरुवार को राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। बादल ने 1970 के दशक के अंत में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य किया था।