राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामांकन भरने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। अंतिम दिन सोमवार को पार्टी प्रत्याशियों के अलावा टिकट मिलने से वंचित रहे बड़ी संख्या में दावेदारों ने बगावत करते हुए नामांकन भरे। अब मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। उसके बाद 9 नवंबर तक नाम वापसी का समय रहेगा। ये आगामी दो दिन पार्टियों के लिए खास मशक्कत भरे रहने वाले हैं। इन दो दिनों में पार्टियां जितना डैमेज कंट्रोल कर बागियों को मना लेगी उतना ही उनको फायदा होगा। अन्यथा उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
नामांकन के बाद के हालात को देखते हुए बीजेपी को प्रदेशभर में करीब दो दर्जन से अधिक सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि पार्टी नेताओं ने बागियों को परिवार का सदस्य बताते हुए उन्हें मना लेने का दावा किया है लेकिन उनका यह दावा कितना सही साबित होगा इसका खुलासा नाम वापसी के बाद ही हो पाएगा। बहरहाल तो बीजेपी नेताओं ने बागियों की मान मनौव्वल की मशक्कत शुरू कर दी है।
जिन सीटों में बगावत का सामना करना पड़ रहा है उनमें दो दर्जन से ज्यादा सीटों के नाम सामने आए हैं। इनमें शाहपुरा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, चित्तौड़गढ़ में चंद्रभान आक्या, झोटवाड़ा में राजपाल सिंह शेखावत व आशु सिंह, खंडेला में बंशीधर बाजिया, डीडवाना में यूनुस खान, बाड़मेर में प्रियंका चौधरी, सवाईमाधोपुर में आशा मीणा, बांसवाडा-हकरु मईडा, सांचौर में दानाराम-शिवाराम, बयाना में रितु बनावत, डग में राम चंद्र सुनारीवाल और गढ़ी में लक्ष्मणलाल डिंडौर ने बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है।
वहीं जयपुर की सिविल लाइंस में दिनेश सैनी, शिव में रविन्द्र सिंह भाटी, भीलवाड़ा में अशोक कोठारी, बागीदौरा में खेमराज गरासिया, कोटपूतली में मुकेश गोयल, सीकर में ताराचंद धायल, फतेहपुर में मधुसूदन भिंडा, लाडपुरा में भवानी सिंह राजावत, झुंझुनूं में राजेन्द्र भाम्बू, पिलानी में कैलाश और संगरिया में गुलाब सिनवर अपनी ही पार्टी को चुनौती दे रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि एक बार टिकट मिलती है ऐसा आक्रोश स्वाभाविक है। सभी को मना लिया जाएगा।