नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के मामले में ‘पिंजरा तोड़’ मुहिम की कार्यकर्ता देवांगना कलिता को जमानत प्रदान करने के खिलाफ आप सरकार की अपील को बुधवार को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल याचिका को नामंजूर करते हुए कहा कि प्रभावशाली व्यक्ति होना जमानत खारिज करने का आधार नहीं हो सकता ।
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने कहा कि कलिता बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले में केवल पुलिस गवाह थी।
उन्होंने कहा कि मामले में कुछ और गवाह हैं जिन्हें सुरक्षा प्रदान की गयी है। पीठ ने राजू से सवाल किया कि ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ होने के आधार पर क्या जमानत से इनकार किया जा सकता है? पीठ ने एएसजी से पूछा कि वह गवाहों को किस तरह प्रभावित कर सकती हैं ।
पीठ ने कहा कि वह कलिता को जमानत प्रदान करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के मामले में एक सितंबर को कलिता को जमानत प्रदान करते हुए कहा था कि पुलिस ऐसे रिकॉर्ड पेश करने में नाकाम रही कि उन्होंने खास समुदाय की महिलाओं को भड़काया या नफरत फैलाने वाले भाषण दिए। अदालत ने कहा था कि उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने वाले प्रदर्शन में हिस्सा लिया जो कि उनका मौलिक अधिकार है।