नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस बात की जांच नहीं कर सकता कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी ईश्वरैया और निचली अदालत के एक निलंबित मजिस्ट्रेट के बीच अमरावती जमीन घोटाला मामले में कथित ‘बेनामी’ लेनदेन समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर फोन पर क्या बातचीत हुई।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी की एक पीठ ने न्यायमूर्ति ईश्वरैया की उस याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी जिसमें निलंबित जिला मुंसिफ मजिस्ट्रेट के साथ उनकी बातचीत की जांच के निर्देश दिये गये थे।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि फोन पर हुई उनकी बातचीत में न्यायपालिका के खिलाफ एक “गंभीर साजिश” का कथित तौर पर खुलासा हुआ है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “यह अदालत इस बात की जांच नहीं कर सकती कि उनकी बातचीत की लिखित प्रतिलिपि में क्या है और क्या छूट गया। इस पर उच्च न्यायालय को फैसला करने दीजिए।”
उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की तरफ से पेश हो रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है क्योंकि पूर्व न्यायाधीश का पक्ष जाने बिना आरोप लगाए गए हैं। उच्च न्यायालय के जांच के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
उच्चतम न्यायालय में दायर एक हलफनामे में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ईश्वरैया ने कहा कि उन्होंने फोन पर बातचीत में निलंबित न्यायिक अधिकारी से बेनामी लेनदेन के बारे में जानकारी मांगी थी, जो कथित तौर पर राज्य के नए राजधानी क्षेत्र में हुए भूमि सौदों में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित थी।