आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को कौशल विकास निगम घोटाला मामले में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू को नियमित जमानत दे दी। अदालत ने नायडू की चार सप्ताह की अंतरिम चिकित्सा जमानत को पूर्ण जमानत में बदल दिया और पूर्व मुख्यमंत्री को नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आरोपी (नायडू) को 31 अक्टूबर को दी गई अंतरिम जमानत को पूर्ण कर दिया गया है और याचिकाकर्ता (नायडू) को पहले से ही जमा किए गए जमानत बांड पर नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है।’’
28 नवंबर तक लागू रहेंगी शर्तें
हालांकि, कौशल विकास निगम घोटाला मामले से संबंधित कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी करने या सार्वजनिक रैलियों तथा बैठकों का आयोजन करने या उनमें भाग लेने से परहेज करने जैसी अंतरिम जमानत की शर्तें 28 नवंबर तक लागू रहेंगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि 29 नवंबर से इन शर्तों में ढील दी जाएगी। इसके अलावा, अदालत ने नायडू को अपनी चिकित्सा रिपोर्ट राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल के अधीक्षक को सौंपने के बजाय 28 नवंबर या उससे पहले विजयवाड़ा में विशेष अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।
इससे पहले, 16 नवंबर को इस मामले में आंध्र प्रदेश पुलिस अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) पी सुधाकर रेड्डी और नायडू की ओर से वकील सिद्दार्थ लूथरा की लंबी बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। नायडू की हाल में हैदराबाद के एलवी प्रसाद अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई। उन्हें नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और 31 अक्टूबर को अंतरिम चिकित्सा जमानत पर रिहा कर दिया गया था, जिसे अब नियमित कर दिया गया है।
नायडू पर क्या है आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री नायडू को कथित तौर पर 3,300 करोड़ रुपये के आंध्र प्रदेश कौशल विकास (APSSDC) घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। यह घोटाला कथित तौर पर उस समय हुआ था जब वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मार्च में सीआईडी ने शुरू की थी। जांच इस साल मार्च में आंध्र प्रदेश पुलिस के क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने जांच शुरू की थी। जांच में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस के पूर्व अधिकारी अरजा श्रीकांत को भी नोटिस दिया गया था। श्रीकांत 2016 में APSSDC के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) थे। युवाओं को रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए APSSDC की स्थापना 2016 में नायडू के कार्यकाल के दौरान बेरोजगार युवाओं को उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए स्किल ट्रेनिंग देकर करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए की गई थी।
3,300 करोड़ रुपये का कथित घोटाला
इसके लिए तत्कालीन नायडू सरकार ने 3,300 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे। एमओयू में सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे, जिन्हें कौशल विकास के लिए छह सेंटर स्थापित करने के लिए कहा गया था।