स्टरलाइट को ऑक्सीजन निर्माण की अनुमति, अन्य संयंत्रों के संचालन पर प्रतिबंध

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दक्षिण भारत Updated On :

चेन्नई। तमिलनाडु सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर चार महीने के लिए तूतीकोरिन में वेदांता स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन निर्माण की अनुमति देने के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी। इससे प्रदूषण की चिंताओं के कारण बंद पड़े स्मेल्टिंग संयंत्र को आंशिक रूप से फिर से खोले जाने का रास्ता साफ हुआ।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वेदांता ने कहा कि वह 1,000 टन की पूरी उत्पादन क्षमता का उपयोग चिकित्सकीय ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए करेगा और वह राज्य में जरुरत वाली जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर इसे भेजने के लिए काम कर रहा है। राज्य सरकार ने मई 2018 में दक्षिणी जिले में स्टरलाइट के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद संयंत्र बंद कर दिया था।

मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अगुवाई में सोमवार को बैठक हुई जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक एवं अन्य शामिल हुए। बैठक में स्टरलाइट को अपने तूतीकोरिन संयंत्र में ऑक्सीजन निर्माण की इजाजत देने के लिए समाधान तलाशा गया। कुछ दिन पहले वेदांता ने इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का रुख कर ऑक्सीजन निर्माण की इच्छा जतायी थी।

बैठक में कहा गया, उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को मरम्मत एवं ऑक्सीजन के निर्माण तथा संबंधित उपकरण के लिए चार महीने बिजली आपूर्ति बहाल की जा सकती है। आदेश में कहा गया कि इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है लेकिन किसी कीमत पर वहां अन्य गतिविधि जैसे कि तांबा निर्माण और सह-निर्माण संयंत्र को नहीं चलाया जायेगा। इस अवधि के बाद संयंत्र को बिजली आपूर्ति बंद कर दी जायेगी।

उसमें कहा गया है कि जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, तूतीकोरिन से पर्यावरण इंजीनियर, ऑक्सीजन उत्पादन में विशेषज्ञ सरकारी अधिकारी, स्थानीय निवासी, एनजीओ के सदस्य और प्लांट का विरोध कर रहे कार्यकर्ता ऑक्सीजन उत्पादन और संयंत्र को चलाने की निगरानी करेंगे।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं। तमिलनाडु सरकार से सवाल किया कि कोरोना मरीजों के उपचार के लिए ऑक्सीजन निर्माण को लेकर आखिर राज्य सरकार स्टरलाइट तांबा संयंत्र को अपने हाथ में क्यों नहीं ले रही है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस बात में कोई रूचि नहीं है कि संयंत्र को वेदांता या ए, बी या सी चलाता है। हमें बस इतना पता है कि ऑक्सीजन निर्माण होना चाहिए।



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